Move to Jagran APP

Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : राम जन्मभूमि मामले से जुड़े मुकदमों में थे 13 पक्षकार...जानें कौन-कौन...

Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 मंदिर विवाद पर सबसे पहले वर्ष 1950 में गोपाल सिंह विशारद ने ही फैजाबाद कोर्ट में केस दायर किया था।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 09:39 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:07 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : राम जन्मभूमि मामले से जुड़े मुकदमों में थे 13 पक्षकार...जानें कौन-कौन...
Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 : राम जन्मभूमि मामले से जुड़े मुकदमों में थे 13 पक्षकार...जानें कौन-कौन...

लखनऊ, जेएनएन। सर्वोच्च न्यायालय ने देश के सबसे संवेदनशील अयोध्या मामले में शनिवार को फैसला सुनाकर मामले का पटाक्षेप कर दिया। आइए जानें इस मामले में कौन-कौन था पक्षकार। 

loksabha election banner

गोपाल सिंह विशारद : मंदिर विवाद पर सबसे पहले वर्ष 1950 में गोपाल सिंह विशारद ने ही फैजाबाद कोर्ट में केस दायर किया था। उन्होंने ‘स्थान जन्मभूमि’ में आराध्य की पूजा-अर्चना के लिए अनुमति मांगी थी। वर्ष 1986 में मृत्यु के बाद उनके बेटे राजेंद्र सिंह मामले में उनका प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।

निर्मोही अखाड़ा : इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले में विवादित जमीन के तीन में एक हिस्सा पाने वाला निर्मोही अखाड़ा भी था। अखाड़े ने 1885 से विवादित स्थल पर अपना दावा बताया है। तब के महंत रघुबर दास ने फैजाबाद के प्रशासन पर केस किया था। हालांकि कोर्ट ने उनके दावे को खारिज कर दिया। तब उसने फिर से दिसंबर 1959 में फैजाबाद सिविल कोर्ट में मालिकाना हक के लिए मुकदमा किया।

देवकी नंदन अग्रवाल : इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवकी नंदन अग्रवाल ने एक जुलाई, 1989 को हाई कोर्ट में राम लला के ‘सखा’ के रूप में याचिका दायर की थी। कोर्ट से राम लला का सखा नियुक्त होने के बाद अग्रवाल ने राम जन्मभूमि व जन्मस्थान के ‘देवता’ की ओर से केस दायर किया था। आठ अप्रैल, 2002 को अग्रवाल के निधन के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टीपी वर्मा को सखा नियुक्त किया गया। 2010 में वर्मा के इस पद से रिटायर होने के बाद से त्रिलोकी नाथ पांडेय ने सखा के पद को संभाला।

अखिल भारतीय हिंदू महासभा : अयोध्या मामले के मुख्य वादाकारों में से एक अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने हाईकोर्ट के फैसले को 2010 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। महासभा जन्मभूमि के किसी भी बंटवारे के खिलाफ थी।

अखिल भारतीय श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति : मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर मुकदमे में बचाव पक्ष में से एक समिति ने हाई कोर्ट के 2010 के फैसले को अगस्त, 2011 में चुनौती दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को मुख्य वाद में शामिल कर लिया था।

एम. सिद्दीकी: इस मामले के मूल वादी और उत्तर प्रदेश में जमीयत-उल-उलेमा-ए-हिंदू के महासचिव थे। सिद्दीकी की मौत के बाद जमीयत के मौलाना अशद राशिदी याचिकाकर्ता बन गए। उनकी ओर से दायर याचिका अयोध्या केस टाइटल सूट बन गई।

हाजी मिसबहुद्दीन : फैजाबाद निवासी हाजी मिसबहुद्दीन उन चंद लोगों में से थे, जिन्होंने हिंदू पक्षकारों की ओर से दायर मामले में बतौर बचाव पक्ष अपील की थी। उनसे पहले उनके दादा शहाबुद्दीन व पिता जियाउद्दीन ने मुकदमा लड़ा था।

हाजी फेंकू : वह शुरुआती चरण में उन पांच स्थानीय मुस्लिम में से एक थे जिन्होंने बतौर बचाव पक्ष केस लड़ा। 1960 में उनके निधन के बाद उनके बेटे हाजी महबूब अहमद उनकी जगह नए पक्षकार बन गए।

फारूक अहमद : इस मामले में फारूक अहमद भी पुराने वादाकारों में से एक हैं। उनका निधन दिसंबर, 2014 में होने के बाद उनके छोटे बेटे मुहम्मद उमर ने उनका स्थान लिया।

शिया सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ : शिया वक्फ बोर्ड का कहना था कि मस्जिद बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बनवाई थी जो शिया मुस्लिम था। अत: मस्जिद पर उसका हक बनता है। 1946 में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। अदालत ने तब मस्जिद को सुन्नी संपत्ति बताया था।

महंत सुरेश दास : दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास ने भी सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल में पूजा की अनुमति मांगी थी। 1950 में अखाड़े के तत्कालीन महंत परमहंस रामचंद्र दास ने फैजाबाद कोर्ट में याचिका दायर की थी।

उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड: सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मस्जिद पर अधिकार के लिए 1961 में फैजाबाद की दीवानी अदालत में मुकदमा दायर किया। उन्होंने विवादित स्थल पर अपने कब्जे का दावा करते हुए मस्जिद परिसर से मूर्तियों को हटाने की मांग की थी।

मुहम्मद हाशिम अंसारी: हाशिम अंसारी वर्ष 1949 से बाबरी मस्जिद मामले से जुड़े थे। भगवान राम की प्रतिमाएं वहां रखे जाने के वक्त उन्हें कानून तोड़ने के लिए गिरफ्तार भी किया गया था। 1961 में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दायर अयोध्या टाइटल सूट में उन्हें अन्य छह लोगों के साथ शामिल कर लिया गया। 2016 में हाशिम के निधन के बाद उनके बेटे इकबाल मुख्य वादी बन गए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.