एक सदी बाद अपग्रेड होगा अयोध्या-प्रयागराज का रेलखंड, तीर्थ स्थलों से जुड़ेगा शेष भारत
उत्तर प्रदेश में 1903 में अस्तित्व में आया अयोध्या-प्रयागराज रेल रूट देश के पुराने रेलखंड में से एक। दो तीर्थों को जोडऩे वाले अयोध्या-प्रयागराज रेलखंड पर रेलवे की नजर-ए-इनायत हुई है। 1903 में अस्तित्व में आया यह रेल रूट देश के पुराने रेलखंड में से एक है।
सुलतानपुर [गोपाल पांडेय]। दो तीर्थों को जोडऩे वाले अयोध्या-प्रयागराज रेलखंड पर रेलवे की नजर-ए-इनायत हुई है। 1903 में अस्तित्व में आया यह रेल रूट देश के पुराने रेलखंड में से एक है। पहले अंग्रेज हाकिम कोलकाता पहुंचने के लिए इलाहाबाद तक इसका उपयोग करते थे। अब भारतीय संस्कृति के दो प्रतीकों अयोध्या और प्रयागराज तक आमजनों को सुविधाजनक ढ़ंग से पहुंचाने के लिए ट्रैक को अपग्रेड कर इसका विद्युतीकरण किया जा रहा है।
बदलते राजनीतिक समीकरणों में फैजाबाद व इलाहाबाद का नया नामकरण अयोध्या और प्रयागराज होने के बाद यह उम्मीद बनी कि इन दोनों तीर्थ स्थलों को शेष भारत से जोडऩे के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। प्रयागराज संगम में स्नान के लिए देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं को रामजन्म भूमि तक सहजता से पहुंचने का इकलौता माध्यम यह रेलखंड है। तकरीबन 160 किमी लंबे इस सफर को अब अपग्रेड ट्रैक पर बिजली से चलने वाली ट्रेन के जरिए तीन घंटे में पूरा किया जा सकेगा।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अवध क्षेत्र में अंग्रेजों को मिली शिकस्त के बाद यह जरूरत महसूस की गई कि इस क्षेत्र में और आवागमन के संसाधनों का विकास किया जाए। तभी फरमान और प्रशासनिक नियंत्रण प्रभावी ढंग से लागू हो सकेंगे। इसी व्यवस्था को अमल में लाने के लिए यह रेल ट्रैक बिछाया गया। लखनऊ से अयोध्या और वहां से सीधे प्रयागराज और फिर कोलकता स्थित फोर्टविलियम पहुंचने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया। अब रामजन्मभूमि पर राममंदिर निर्माण की शुरुआत के साथ अयोध्या देश की संस्कृति के प्रतीक के रूप में उभर रही है।
वरिष्ठ वाणिज्य मंडल रेल प्रबंधक (उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल) जगतोष शुक्ला ने बताया कि महत्वपूर्ण रेलखंडों का विद्युतीकरण रेल भवन की कार्ययोजना का हिस्सा है। प्रथम चरण में ए श्रेणी के रेल रूट चयनित किए गए। अब शेष रेलखंडों को अपग्रेड किया जा रहा है। अयोध्या प्रयागराज रेलखंड को वरीयता के आधार पर उच्चीकृत किया गया है।