Akshay Navami 2020: उत्साह के साथ शुरू हुई रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा, बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सीमा सील
Ayodhya News 28 वर्ष बाद संभव होगी रामलला की परिक्रमा। सरयू तट से लेकर प्रमुख मंदिर और आंतरिक मार्गों से लेकर परिधि पर स्थित परिक्रमा मार्ग को सजाया गया है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को रोकने के लिए अयोध्या की सीमा सील।
अयोध्या, जेएनएन। Akshay Navami 2020: अक्षय नवमी तिथि के पवित्र अवसर पर रामनगरी में सोमवार को तड़के 14 कोसी परिक्रमा शुरू हुई। अयोध्या के चतुर्दिक 14 कोसी परिक्रमा पथ पर राम नाम का जयघोष कर राम भक्त श्रद्धालु परिक्रमा कर रहे हैं। कोविड-19 प्रोटोकाल के कारण इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या आधे से भी कम है। परिक्रमा के शुरुआती चरण में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करते नजर आए। परिक्रमा कर रहे श्रद्धालु, राम भक्त श्रद्धालु कोरोना से संपूर्ण विश्व को बचाने की कामना लेकर परिक्रमा कर रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के संकट को ध्यान में रखकर प्रशासन ने परिक्रमा में स्थानीय संतों और श्रद्धालुओं को ही शामिल होने की इजाजत दी है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को रोकने के लिए रामनगरी की सीमा सील कर दी गई है। इसके बावजूद परिक्रमा को लेकर जोश ठंडा नहीं पड़ा है। सरयू तट से लेकर प्रमुख मंदिर और आंतरिक मार्गों से लेकर परिधि पर स्थित परिक्रमा मार्ग को सजाया गया है।
कुशीनगर निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक रामकिशोर वर्मा आस्था के क्षितिज पर किसी मिसाल से कम नहीं हैं। 14 कोस की 24 और पंचकोस की 30 परिक्रमा कर चुके वर्मा एक दशक पूर्व ही पारंपरिक कर्मकांड के माध्यम से परिक्रमा की पूर्णाहुति कर चुके हैं। इसके बावजूद प्रतिबंधों से मुकाबिल हो वह इस बार रामनगरी की परिक्रमा करने पहुंचे हैं, तो इसके पीछे भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण की चिर साध पूर्ण होने का उल्लास है।
परिक्रमा की आध्यात्मिक महत्ता का मर्म समझाते हुए निष्काम सेवा ट्रस्ट के व्यवस्थापक महंत रामचंद्रदास कहते हैं, कोरोना संक्रमण के संकट को अनदेखा नहीं किया जा सकता और हमें इससे बचाव का पूरा यत्न भी करना चाहिए।
28 वर्ष बाद संभव होगी रामलला की परिक्रमा
पारंपरिक मान्यता का अनुसरण करते हुए श्रद्धालु परिक्रमा के साथ रामलला का अनिवार्य रूप से दर्शन और उनकी परिक्रमा करते रहे हैं। इस दौरान उनके सामने रामजन्मभूमि की विवाद से मुक्ति का सवाल भी कौंधता रहा है।
इस बार श्रद्धालु न केवल भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण की नित्य-निरंतर प्रशस्त होती संभावना के बीच पूर्व की अपेक्षा कहीं अधिक समुचित साज-सज्जा वाले वैकल्पिक गर्भगृह में रामलला का दर्शन कर सकेंगे, बल्कि उन्हें रामलला की परिक्रमा करने का भी अवसर मिलेगा। 28 वर्ष पूर्व ढांचा ढहाये जाने के बाद रामलला की परिक्रमा रोक दी गई थी।