सॉफ्टवेयर में बदलाव कर 17 जिलों के आशा ज्योति केंद्र बनने जा रहे रिपोर्टिंग चौकी
उत्तर प्रदेश सरकार क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) के सॉफ्टवेयर में बदलाव कर आशा ज्योति केंद्रों को रिपोर्टिंग पुलिस चौकी बनाने जा रही है
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश सरकार क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) के सॉफ्टवेयर में बदलाव कर आशा ज्योति केंद्रों को रिपोर्टिंग पुलिस चौकी बनाने जा रही है। अभी रिपोर्टिंग चौकी न होने के कारण यहां पीडि़त महिलाओं की प्राथमिकी दर्ज नही हो पा रही है। मुख्य सचिव राजीव कुमार के निर्देश के बाद गृह विभाग इस काम में जुट गया है। रिपोर्टिंग चौकी होने के बाद पीडि़त महिलाओं को एफआईआर दर्ज कराने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। फिलहाल प्रदेश के 17 जिलों में आपकी सखी आशा ज्योति केंद्र स्थापित हैं। इन्हें प्रदेश सरकार केंद्र की मदद लेकर प्रत्येक जिले में स्थापित करना चाहती है।
इन जिलों में संचालित आशा ज्योति केंद्र
- गाजियाबाद
- मेरठ
- मुजफ्फरनगर
- बरेली
- पीलीभीत
- शाहजहांपुर
- आगरा
- झांसी
- बांदा
- कानपुर
- कन्नौज
- लखनऊ
- इलाहाबाद
- मीरजापुर
- वाराणसी
- गाजीपुर
- गोरखपुर
केंद्र सरकार ने हाल ही में 38 और आशा ज्योति केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी है। यह केंद्र इसलिए खोले गए हैं ताकि किसी भी प्रकार से पीडि़त महिलाओं को एक ही जगह सारी मदद मिल सके। इस वजह से आशा ज्योति केंद्रों में चिकित्सीय मदद भी दी जाती है। कानूनी सलाह भी यहां मिलती है। इन्हें 181 महिला हेल्पलाइन से जोड़ा गया है। जरूरत पडऩे पर एक फोन कॉल पर रेस्क्यू वैन भी मौके पर पहुंचकर मदद करती है। सरकार ने आशा ज्योति केंद्रों में पुलिस चौकी भी खोल दी है। लेकिन, रिपोर्टिंग चौकी न होने के कारण यहां एफआइआर दर्ज नहीं हो पा रही हैं। महिला कल्याण विभाग ने पिछले दिनों यह मसला मुख्य सचिव के सामने रखा। उन्होंने गृह विभाग के सचिव भगवान स्वरूप को इस मामले को शीघ्र हल करने के निर्देश दिए।
गृह विभाग ने बताया कि सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर में रिपोर्टिंग पुलिस चौकी का विकल्प नहीं है। इस कारण दिक्कत आ रही है। सचिव गृह भगवान स्वरूप ने बताया कि जल्द ही विभाग सॉफ्टवेयर में जरूरी परिवर्तन कराकर आपकी सखी आशा ज्योति केंद्रों में स्थापित पुलिस चौकियों को रिपोर्टिंग चौकियां बना देगा। इसके बाद यहां आसानी से एफआइआर दर्ज हो सकेंगी।