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Arun Jaitley: अटल के कारण लखनऊ से जेटली का था गहरा संबंध Lucknow News

चाट के साथ ही पान की गिलौरी गोलगप्पे थे पसंद। रायबरेली को रोशन करने के साथ ही खुद सो गए जेटली।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 02:06 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 08:48 AM (IST)
Arun Jaitley: अटल के कारण लखनऊ से जेटली का था गहरा संबंध Lucknow News

लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण अरुण जेटली का लखनऊ से गहरा संबंध था। वह अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव की पूरी कमान संभालते थे, इसलिए अधिकांश कार्यकर्ताओं को वह नाम से ही जानते थे। लखनऊ आने पर वह खान-पान पर ही खास ध्यान देते थे। पुराने शहर की चाट, गोलगप्पे, पान गिलौरी के साथ ही अगर गर्मी है तो आम का पना भी पीते थे। कार्यकर्ता कहते हैं कि बहुत ही सरल स्वभाव के थे और कभी-कभी तो मेज पर ही बैठकर बात करने लगते थे। अटल बिहारी वाजपेयी जब 2004 की लोकसभा चुनाव के बाद अस्वस्थ हुए तो 2009 की लोकसभा चुनाव में लखनऊ सीट से अरुण जेटली के चुनाव लडऩे की भी चर्चा रही थी। 

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राज्यसभा सदस्य के रूप में जेटली के प्रतिनिधि का काम देख रहे हीरो वाजपेयी कहते हैं कि तीस जुलाई को ही दिल्ली में मुलाकात हुई भी। उन्होंने नोडल जिला रायबरेली के लिए 250 सोलर लाइट लगाने का पत्र डीएम को लिखा था। अपनी सांसद निधि से वह इस कार्य में ढ़ाई करोड़ खर्च कर रहे थे। वाजपेयी कहते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव प्रचार में तो कई-कई दिन तक अरुण जेटली लखनऊ में ही रहते थे। नामांकन पत्र की जांच के लेकर चुनाव प्रबंधन पर उनकी नजर रहती थी। वह सर्वसुलभ नेता भी थे। 

 

बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन के पुत्र और नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन 'गोपाल' कहते हैं कि अरुण जेटली का लखनऊ से गहरा संबंध था। वह अटल जी के चुनाव प्रचार से जुड़े रहते थे। विधानसभा चुनावों में भी वह लखनऊ में सक्रिय रहते थे। कभी-कभी वह चौक वाले घर पर ही बाबूजी (लालजी टंडन) से मिलने आते थे और वहां भोजन करते थे। चौक की चाट उन्हें बहुत पसंद थी। जाड़े में वह काली गाजर का हलवा भी खाते थे। 


लखनऊ में जेटली का यह था पसंदीदा 

भाजपा नेता राजीव मिश्र कहते हैं कि लखनऊ आने पर अरुण जेटली चौक की चाट और पान गिलौरी जरुर खाते थे। गोलगप्पे के साथ ही अगर गर्मी में आए तो आम का पना भी मंगाते थे। वह अटल जी के नामांकन से एक दिन पहले ही आ जाते थे और नामांकन पत्र की खुद ही बारीकी से जांच करते थे। वह नामांकन के समय वकील की हैसियत से मौजूद रहते थे। वकीलों के बीच जाकर वह भाजपा के लिए वोट मांगते थे।


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