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विश्वविद्यालयों में पर्चा लीक से बचाएगा आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, कॉपियों का होगा डिजिटल मूल्यांकन

लखनऊ विश्वविद्यालय में पर्चा लीक प्रकरण के बाद तय किया गया है कि परीक्षा में सभी प्रक्रियाओं में आधुनिक तकनीक का भरपूर प्रयोग किया जाएगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 10:12 AM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 10:12 AM (IST)
विश्वविद्यालयों में पर्चा लीक से बचाएगा आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, कॉपियों का होगा डिजिटल मूल्यांकन
विश्वविद्यालयों में पर्चा लीक से बचाएगा आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, कॉपियों का होगा डिजिटल मूल्यांकन

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) में पर्चा लीक होने का मामला सामने आने के बाद उच्च शिक्षा विभाग जाग गया है। उसने प्रश्नपत्र को सेट करने (मॉडरेशन) की प्रक्रिया से लेकर प्रश्नपत्र परीक्षा केंद्र पहुंचाने और कापियों के मूल्यांकन में आधुनिक तकनीक का भरपूर प्रयोग करने का फैसला लिया है। इसके लिए उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी एक महीने में अपनी संस्तुति रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट के आधार पर मौजूदा व्यवस्था में बदलाव किए जाएंगे।

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डॉ. शर्मा ने बताया कि तीन सदस्यीय कमेटी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) कानपुर के उप निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक और सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे को रखा गया है। उन्होंने कहा कि पर्चा लीक की घटना भविष्य में फिर न हो इसके लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। विश्वविद्यालयों की परीक्षा में प्रश्नपत्र सेट करने के लिए आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग किया जाएगा।

प्रश्नों के बैंक में से सॉफ्टवेयर के माध्यम से पेपर सेट होगा। इसमें कोई शिक्षक यह नहीं जान सकेगा कि आखिर कौन से सवाल इम्तिहान में पूछे जाएंगे। पेपर सेट करने में मानवीय हस्तक्षेप बिल्कुल खत्म हो जाएगा। वहीं कापियों का डिजिटल मूल्यांकन होगा। कापियां जांचने वाले शिक्षक निगरानी में होंगे, वह मनचाहे ढंग से किसी परीक्षार्थी को कम या ज्यादा अंक नहीं दे सकेंगे। अगर वह कोई गड़बड़ी करने की कोशिश करेंगे तो पकड़े जाएंगे। सीसीटीवी कैमरे की मदद से कंट्रोल रूम के जरिए निगरानी होगी।

गौरतलब है कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय परीक्षा की शुचिता व पारदर्शिता को बरकरार रखने के लिए आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस व डिजिटल मूल्यांकन का प्रयोग कर रहा है। इसके परिणाम भी अच्छे आ रहे हैं। फिलहाल अब कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इस मॉडल को सभी विश्वविद्यालयों में लागू किया जा सकता है।  


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