लखनऊ में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी सहित 6 के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी
धरना प्रदर्शन के दौरान कांग्रेसी नेता निर्मल खत्री सहित हजारों लोगों द्वारा पुलिस बल पर पथराव कर जानलेवा हमला करने के मामले में गैरहाजिर रहने पर कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी सम
लखनऊ, जेएनएन। धरना प्रदर्शन के दौरान कांग्रेसी नेता निर्मल खत्री सहित हजारों लोगों द्वारा पुलिस बल पर पथराव कर जानलेवा हमला करने के एक मामले में अदालत में गैरहाजिर रहने पर एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने पूर्व कांग्रेसी नेता रीता बहुगुणा जोशी सहित छह लोगों के विरुद्ध एक फरवरी के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
वर्ष 2015 से संबंधित इस मामले में आरोपी ओमकार नाथ सिंह, रमेश मिश्रा, बोध लाल शुक्ला, रमेश मिश्रा, मनोज तिवारी मधुसूदन प्रभुजी उर्फ प्रहलाद द्विवेदी व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित थे। जबकि आरोपी निर्मल खत्री, प्रदीप माथुर, के.के. शर्मा, राजेश पति त्रिपाठी, राज बब्बर, प्रदीप आदित्य जैन की ओर से उनके वकीलों द्वारा हाजिरीमांफी का प्रार्थना पत्र दिया गया। अदालत ने कहा है कि रीता बहुगुणा जोशी, अजय राय, राज कुमार लोधी, शैलेन्द्र तिवारी, शरिक अली एवं पप्पू खां के गैरहाजिर रहने पर उनके विरुद्ध बिना जमानती वारंट एवं जामिनदारों को नोटिस जारी किए जाने का आदेश दिया गया है।
पत्रावली के अनुसार इस मामले की रिपोर्ट 17 अगस्त 2015 को उपनिरीक्षक प्यारे लाल द्वारा हजरतगंज थाने पर दर्ज कराई गई है जिसमें कहा गया है कि घटना के दिन उनकी ड्यूटी लक्ष्मण मेला पार्क में थी उसी समय धरना स्थल पर उ.प्र. कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित कांग्रेसी नेता निर्मल खत्री, मधुसूदन, रीताबहुगुणा जोशी, प्रदीप माथुर अपने करीब पांच हजार कार्यकर्ताओं के साथ धरना स्थल पर प्रदेश में गन्ना भुगतान अपराध, भ्रष्टाचार एवं पेट्रोलियम मूल्य में वृद्धि को लेकर भाषण दे रहे थे। आरोप है कि संकल्प वाटिका की ओर से सभी लोग विधानसभा की ओर जाने लगे। जिन्हें रोकने का प्रयास किया गया परंतु नहीं रुके एवं ईट पत्थर फेंककर पुलिस बल पर हमला कर दिया। जिसमें पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों को चोटें आईं थीं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल होने के उपरांत 25 अप्रैल 2016 को संज्ञान लिया गया था। उसके बाद से मामला लगातार अभियुक्तों पर आरोप तय करने के लिए चल रहा है। परंतु अभियुक्तों के उपस्थित न होने के कारण आरोप तय नहीं हो पा रहा है। जबकि उच्चतम न्यायालय द्वारा शीघ्र विचारण किए जाने का निर्देश है।