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तेलंगाना में बजा यूपी भाजपा का डंका, मुश्किल सीटों पर जीत का 'माडल' बनी आजमगढ़ और रामपुर की रणनीति

तेलंगाना में आयोजित भारतीय जनता पार्टी के दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में छाई यूपी भाजपा की रणनीत‍ि। उत्‍तर प्रदेश में भाजपा ने अखिलेश यादव की कमजोर पकड़ और आजम खान की विवादित छवि को बनाया अस्त्र।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 07:06 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 09:18 AM (IST)
तेलंगाना में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में हुआ प्रस्तुतीकरण।

लखनऊ, [जितेंद्र शर्मा]। भाजपा के यादव बहुल आजमगढ़ और मुस्लिम बहुल रामपुर लोकसभा सीट जीतना कतई आसान नहीं था। मगर, अखिलेश यादव और आजम खां की व्यक्तिगत साख पर टिके नजर आ रहे यह सपाई किले ढहे तो उत्तर प्रदेश भाजपा की रणनीति का डंका भी बज गया।

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उसी की धमक शनिवार को तेलंगाना में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भी सुनाई दी, जहां इन दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव में मिली जीत को रणनीति के 'माडल' के तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित देशभर से जुटे पार्टी के दिग्गजों के सामने प्रस्तुत किया गया। यहां से भाजपा को देशभर में उन सीटों पर विरोधियों को ढेर करने की राह दिखने लगी है, जो 'असंभव' मानी जाती हैं।

बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह सहित सरकार और संगठन के अन्य कार्यसमिति के सदस्य भी गए हैं। शनिवार शाम को आयोजित एक सत्र में उन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों ने प्रस्तुतीकरण किया, जहां हाल ही में लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव निपटे हैं। सूत्रों के अनुसार स्वतंत्रदेव ने आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर मिली जीत पर प्रस्तुतीकरण किया।

उन्होंने बताया कि आजमगढ़ से अखिलेश के पहले सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव सांसद थे। इस सीट पर यादव आबादी बहुतायत में है। ऐसे में पार्टी ने अध्ययन में पाया कि सांसद रहते हुए भी अखिलेश अपने संसदीय क्षेत्र में दूरी बनाए रहे। कोरोना काल ने उनकी पकड़ और कमजोर कर दिया।

भाजपा ने यादव मतों में सेंध लगाने के लिए इसी समाज से भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' को प्रत्याशी बनाया, जबकि सपा ने सैफई परिवार के ही धर्मेंद्र को मैदान में उतारा। परिवारवाद की राजनीति पर प्रहार करने में भाजपा को आसानी हुई और यहां जीत मिली।

इसी तरह प्रदेश अध्यक्ष ने रामपुर जीत की रणनीति बिंदुवार समझाई। बताया कि लगभग 53 प्रतिशत मुस्लिम आबादी होने के बावजूद वहां जीत आजम खां की विवादित छवि के कारण हुई। तर्क रखा गया कि आजम अक्सर ऐसे बयान देते रहे हैं, जो हिंदुत्व के विरुद्ध होते हैं और राष्ट्रवादी नागरिक उसे पसंद नहीं करते। जहां मुस्लिमों ने मतदान कम किया, वहीं सभी हिंदू एकजुट होकर भाजपा के पक्ष में आ गए। मोदी-योगी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं ने जनता का भरोसा जीतने में बड़ी भूमिका निभाई। सूत्रों ने बताया कि इस जीत की सराहना करते हुए देशभर से जुटे भाजपा नेताओं ने खूब तालियां बजाईं।


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