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Annu Tandon Resigns: कांग्रेस में कारपोरेट कल्चर की प्रतिनिधि अन्नू टंडन ने छह महीने पहले ही बना ली थी कार्यकर्ताओं से दूरी

Annu Tandon Resigns सांसद बनने के बाद अन्नू टंडन ने मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में जल संसाधन समिति में एक सदस्य के रूप में सेवा की। इसके साथ ही 15 वीं लोकसभा के कार्यकाल में वह और 2009 में महिलाओं के सशक्तीकरण कार्यक्रम के क्रियान्वयन का हिस्सा थीं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 03:37 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 04:25 PM (IST)
कांग्रेस की राजनीति में अन्नू टंडन को कारपोरेट कल्चर का प्रतिनिधि माना जाता रहा है

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में उन्नाव के बांगरमऊ विधानसभा उप चुनाव से पहले कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अन्नू टंडन का पार्टी से इस्तीफा काफी चौंकाने वाला निर्णय है। कांग्रेस में कारपोरेट कल्चर की प्रतिनिधि 61 वर्षीय अन्नू टंडन ने सक्रिय राजनीति के रूप में अपनी जन्मभूमि उन्नाव को ही चुना।

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रिलायंस इंडस्ट्रीज में शीर्ष पद पर रहे अन्नू टंडन के पति स्वर्गीय संदीप टंडन भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी थे और प्रवर्तन निदेशालय में बड़े अधिकारी के रूप में रिलायंस इंडस्ट्रीज में जांच की थी। उन्होंने टीना अंबानी के घर पर भी छापा मारा था। इसके बाद वह 1994 में रिलायंस इंडस्ट्रीज में बड़े पद पर कार्यरत थे। इसी कारण अन्नू टंडन के मुकेश अंबानी के साथ पूरे परिवार का घनिष्ठ संबंध है। उनके दो बेटे भी रिलायंस के कर्मचारी हैं। अन्नू टंडन ने 2009 के लोकसभा चुनाव में अपनी 41 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की थी। 2014 के चुनाव के दौरान 42 करोड़ की संपत्ति घोषित की थी।

सांसद बनने के बाद अन्नू टंडन ने मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में जल संसाधन समिति में एक सदस्य के रूप में सेवा की है। इसके साथ ही 15 वीं लोकसभा के कार्यकाल में वह और 2009 में महिलाओं के सशक्तीकरण कार्यक्रम के क्रियान्वयन का हिस्सा थीं। अन्नू टंडन को कांग्रेस में लाने का श्रेय पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद को है। इसके बाद वह सीधा लोकसभा का चुनाव लड़ीं। अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने फिल्म स्टार सलमान खान को उन्नाव में बुलाया और काफी देर प्रचार भी करवाया। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अन्नू टंडन पर स्विस बैंक में काला धन निवेश करने का गंभीर आरोप भी लगाया था, लेकिन अन्नू टंडन इन आरोपों से इनकार किया।

कांग्रेस की राजनीति में अन्नू टंडन को कारपोरेट कल्चर का प्रतिनिधि माना जाता रहा है। उनका राजनीतिक प्रवेश भी कुछ इसी अंदाज में हुआ। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सलमान खुर्शीद को उनके कांग्रेस प्रवेश का श्रेय दिया जाता है। कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद वह उन्नाव से सांसद बनीं लेकिन बाद में लगातार तीन चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस टिकट देती रही। कारपोरेट कल्चर की राजनीति की वजह से उनका कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ कभी अच्छा तालमेल नहीं रहा। स्थानीय राजनीति में उनके दखल की वजह से कई कांग्रेसी नेता पार्टी का साथ छोड़कर चले गए। जिनसे उन्नाव की राजनीति में कांग्रेस को ताकत मिलती रही है। जब वह प्रदेश कांग्रेस की मीडिया इंचार्ज रहीं तब कांग्रेस प्रवक्ता सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव के साथ उनका झगड़ा हुआ जो हाईकमान तक पहुंचा।

गलत रिपोर्टिंग के बाद बना ली कांग्रेस से दूरी

प्रदेश कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद प्रियंका गांधी ने उन्नाव के जिलाध्यक्षों के बारे में अन्नू टंडन की एक रिपोर्ट को लेकर पार्टी मीटिंग में उन्हें सबके सामने बेनकाब कर दिया। गलत रिपोर्ट करने की वजह से प्रियंका ने उन पर नाराजगी भी जताई। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से दूरी बनानी शुरू कर दी।

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बांगरमऊ में चाहती थीं अपना प्रत्याशी

बांगरमऊ उपचुनाव में भी वह अपना प्रत्याशी चाहती थीं लेकिन जब कामयाब नहीं हुईं तो आखिरकार पार्टी से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस के युवा नेता जीशान हैदर ने कहा कि चलो अच्छा हुआ अन्नू टंडन ने अपनी दुकान समेट ली। कारपोरेट राजनीति करने वाले टिक भी कैसे सकते हैं। तीन बार चुनाव हारकर पहले ही कांग्रेस का काफी नुकसान कर चुकी हैं।

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