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Anniversary of UP Sainik School : सीएम योगी बोले, देशभर के लिए रोल मॉडल होगा यूपी सैनिक स्कूल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल की स्थापना दिवस की हीरक जयंती वर्ष का शुभारंभ क‍िया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 12:15 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 03:08 PM (IST)
Anniversary of UP Sainik School : सीएम योगी बोले, देशभर के लिए रोल मॉडल होगा यूपी सैनिक स्कूल
Anniversary of UP Sainik School : सीएम योगी बोले, देशभर के लिए रोल मॉडल होगा यूपी सैनिक स्कूल

लखनऊ, (न‍िशांत यादव)। सैनिक स्कूल आज की आवश्यकता है। किसी देश का भविष्य किस दिशा में जा रहा है। यह जानना हो तो इसका अंदाजा युवाओं की भावनाओ को देखकर लगाया जा सकता है। बेटियों को भी सेना में अफसर बनने का समान अवसर मिले इसके लिए कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल में बेटियों के एडमिशन शुरू हुए। अब तीसरा बैच आने को तैयार है। यह सौभाग्य है कि यूपी में देश का पहला सैनिक स्कूल खुला था। अब प्रदेश में सैनिक स्कूल की श्रंखला को आगे बढ़ाने की कार्यवाही होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये बात कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल की स्थापना दिवस की हीरक जयंती वर्ष का शुभारंभ करते हुए कही।

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उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूल के सर्वागीण विकास में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी। यूपी सैनिक स्कूल देश भर के लिए रोल मॉडल बने इसके लिए स्कूल प्रबंधन शासन को जो भी योजनाएं देगा। सरकार उसको बिना देरी मंजूर करेगी। स्थापना दिवस के हीरक जयंती वर्ष में यूनिक आयोजन होंगे। इन एक साल में स्कूल को भी स्वतः मूल्यांकन का मौका मिलेगा। सैनिक स्कूल से पढ़े सेनाओं में वर्तमान अफसर, डॉक्टर, समाजसेवी, पूर्व सैन्य अफसर सभी की कड़ी को जोड़ा जाएगा। राष्ट्र की रक्षा, समाजसेवा और आपदा से मुकाबला करने के लिए उनको तैयार कर सकेंगे।

इस स्कूल ने देश को कई जांबाज दिए है। कैप्टन मनोज पांडेय इसी स्कूल का हिस्सा रहे हैं। जब प्रधानमंत्री जी ने मुझे सीएम की जिम्मेदारी दी तब मैंने यही विचार किया कि सैनिक स्कूल का विस्तार कैसे होगा। सन 1960 में देश के इस पहले सैनिक स्कूल की आधारशिला रखी गई। आज यह स्कूल जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने हीरक जयंती वर्ष का स्कूल के लोगो का अनावरण किया। उन्होंने हीरक जयंती पर जारी विशेष कवर का भी विमोचन किया। इससे पहले सैनिक स्कूल की स्मृतिका पर शहीदो को नमन किया। स्कूल के प्रिंसिपल कर्नल यूपी सिंह ने उनको स्मृति चिन्ह प्रदान किया। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा, भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी डिप्टी इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ वायस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह, ले जनरल (अवकाशप्राप्त) आरपी साही, यूपी एनसीसी के एडीजी मेजर जनरल राकेश राणा, अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम, डीएम अभिषेक प्रकाश, सीपीएमजी केके सिन्हा और निदेशक डाक केके यादव भी मौजूद थे।

पहले बैच में बने थे सिर्फ तीन अफसर

हीरक जयंती समारोह में कई पूर्व छात्र कैडेट मौजूद थे । जो कि कुछ पल के लिए अतीत में खो गए। मेजर (अवकाशप्राप्त) के किशोर उनमे से एक थे। मेजर के किशोर सैनिक स्कूल के पहले बैच के छात्र कैडेट हैं। वह बताते हैं कि सीतापुर के छोटे से गांव से निकलकर 1960 में पहली बार सेना अफसर बनने का सपना संजोए यहां आया था। उस बैच में कुल 52 छात्र ही थे। सन 1968 में एनडीए में यहां से तीन छात्र ही चयनित हुए थे। एक मैं, दूसरे कर्नल टण्डन और तीसरे विंग कमांडर सतीश चटर्जी। प्रिंसिपल कर्नल डेनियल और पांच टीचर थे।कर्नल डेनियल ही थे जिनको एनडीए की तैयारी का ज्ञान था। उन्होंने ही हमारी एसएसबी की तैयारी कराई थी। वह प्रिंसिपल नही पिता के समान थे। उनकी पत्नी मैडम डेनियल हमारा अपने बच्चों की तरह ख्याल रखती थी। उनको हम सब अपनी माँ मानते थे। इसी प्रेक्षागृह में हमने ड्रामा से लेकर कई आयोजन किये।

खेल में भी नही था हमारा जवाब

कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल का स्वर्ण दौर 1970 से 80 के बीच कहा जा सकता है। संन 1974 में अजेंद्र बहादुर सिंह ने भी दाखिला लिया। आज वह नौसेना में वायस एडमिरल हैं। वह बताते है कि 1979 में उनके बैच से 30 छात्र कैडेट एनडीए में एक साथ गए थे। जो कि आज तक का रिकॉर्ड है। उस समय हम बच्चो में जुनून था एनडीए में जाने के लिए। हमेंं याद है कि ठंडी हो या गर्मी। क्लास के बाद हम सब दोस्त पेड़ के नीचे घांस पर बैठकर पढ़ाई करते थे। मेहनत जमकर करते थे। टीचर और प्रिंसिपल भी शयिग करते थर। तब ही ब्रिगेडियर अरविंद सिंह कह देते है कि सर आप तो ट्रक से एक बार घायल हो गए थे। वायस एडमिरल अजेंद्र बहादुर तुरंत कहते हैं कि आखिर खेल में भी हमारा कोई जवाब नही था। लाल बहादुर शास्त्री फुटबॉल कप हमने कई बार जीता या फिर फाइनल तक पहुंचे। एक ट्रक होता था जिसमे सवार होकर हम सब जाते थे। एक बार लटकती चेन पकड़कर चढ़ते हुए घुटने चोटिल हो गए थे और वो फाइनल मैं नही खेल सका। फुटबॉल का अच्छा गोल कीपर था और हॉकी में बैक खेलता था। 


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