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लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में भी हो सकेगी एंजियोप्लास्टी, लगाए जा सकेंगे पेसमेकर

बलरामपुर अस्पताल में एक निजी कंपनी के सहयोग से कैथ लैब खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार शासन की ओर से लगभग हामी भर दी गई है। जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 11:37 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 11:37 AM (IST)
लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में भी हो सकेगी एंजियोप्लास्टी, लगाए जा सकेंगे पेसमेकर
बलरामपुर अस्पताल में आने वाले हृदय रोगियों के लिए बड़ी खुशखबरी।

लखनऊ, जेएनएएन। बलरामपुर अस्पताल में आने वाले हृदय रोगियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। अब ऐसे मरीजों को एंजियोप्लास्टी कराने व पेसमेकर लगवाने के लिए दूसरे अस्पतालों का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। दरअसल बलरामपुर अस्पताल में एक निजी कंपनी के सहयोग से कैथ लैब खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार शासन की ओर से लगभग हामी भर दी गई है। जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है। इसके बाद कैथ लैब का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद एंजियोप्लास्टी करना व पेसमेकर लगाने जैसा कार्य आसान हो जाएगा। आपको बता दें कि वर्ष 2018 से ही कैथ लैब के निर्माण का प्रयास चल रहा था, लेकिन बीच में यह ठंडे बस्ते में चला गया था। अब एक निजी कंपनी के आगे आने से दोबारा लैब निर्माण की उम्मीदें जगी हैं। निदेशक डॉ राजीव लोचन व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ आर के गुप्ता की ओर से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जा चुका है।

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सरकार का एक रुपये भी नहीं होगा खर्च 20 फीसद मिलेगा फायदा: निजी कंपनी के प्रस्ताव के मुताबिक कैथ लैब के निर्माण में सरकार का एक रुपया भी खर्च नहीं होगा, बल्कि उसे 20 फीसद का फायदा होता रहेगा। कंपनी ने कैथ लैब के निर्माण से लेकर मशीनों इत्यादि का पूरा खर्च खुद उठाने का ऐलान किया है। इसके बदले में कंपनी जांच से होने वाली आय का 80 फीसद अपने पास रखेगी। शेष 20 फीसद राशि अस्पताल को देगी।

अन्य संस्थानों से जांच दर होगी कम:

इतना ही नहीं बलरामपुर अस्पताल की कैथ लैब में जांच का शुल्क भी अन्य मेडिकल संस्थानों की तुलना में कम लिया जाएगा। इसका फायदा मरीजों को होगा और उन्हें दूसरी अस्पतालों का चक्कर भी नहीं काटना पड़ेगा। अभी हृदयाघात के गंभीर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद मजबूरी में दूसरे संस्थानों में रेफर करना पड़ता है। जबकि अस्पताल के पास तीन कार्डियोलॉजिस्ट हैं। हालांकि अभी यहां सिर्फ जांच की ईसीजी जैसी प्राथमिक सुविधाएं ही हैं। कार्डियो विभाग की ओपीडी भी चलती है।

''एक निजी कंपनी ने यह प्रस्ताव अस्पताल को दिया है, जिसके बारे में स्वास्थ्य निदेशक व स्वास्थ्य मंत्री से भी चर्चा हुई है। इसका प्रस्ताव बनाकर उन्हें भेजा गया है। उम्मीद है जल्दी इस बारे में निर्णय ले लिया जाएगा। इससे मरीजों को फायदा होगा।''   -डॉ आरके गुप्ता, सीएमएस, बलरामपुर अस्पताल  


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