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ट्रॉमा सेंटर में स्टाफ मरीजों को बेच रहा है बेड, पैसा न मिलने पर भगाए जाते हैं मरीज लगा आरोप

लखनऊ के केजीएमयू में गोरखपुर के मरीज को 48 घंटे नहीं किया भर्ती पैसा देने पर मिला बेड। तीमारदारों ने की शिकायत।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 07:14 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 08:45 AM (IST)
ट्रॉमा सेंटर में स्टाफ मरीजों को बेच रहा है बेड, पैसा न मिलने पर भगाए जाते हैं मरीज लगा आरोप
ट्रॉमा सेंटर में स्टाफ मरीजों को बेच रहा है बेड, पैसा न मिलने पर भगाए जाते हैं मरीज लगा आरोप

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू का स्टाफ बेड बेच रहा है। यहां एक बेड के दो-दो हजार रुपये वसूले जा रहे हैं। रुपये न देने पर भर्ती से मना किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला न्यूरो सर्जरी विभाग का उजागर हुआ है। यहां रुपये न देने पर मरीज 48 घंटे वार्ड के बाहर पड़ा रहा।

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गोरखपुर के कोटिया गांव निवासी छेदी (60) वर्ष को ब्रेन ट्यूमर है। स्थानीय अस्पताल से छेदी को 12 फरवरी को केजीएमयू रेफर किया गया। परिजन राम निवास के मुताबिक रात 11:45 पर मरीज छेदी को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां बेड फुल बताकर लौटा दिया गया। सुबह न्यूरो सर्जरी की ओपीडी में छेदी को दिखाया। डॉक्टर ने इलाज में वेटिंग बताकर दवा लिख दी। साथ ही सोमवार को दोबारा ओपीडी में बुलाया। 

डॉक्टर ने भर्ती लिखा, स्टाफ ने मना किया

रामनिवास के मुताबिक मरीज छेदी को सोमवार को ओपीडी दिखाया। डॉक्टर ने भर्ती के लिए लिख दिया। यहां से मरीज को न्यूरो सर्जरी विभाग ले गए। शताब्दी भवन के पांचवें फ्लोर पर डॉक्टर का भर्ती के लिए लिखा गया कागज दिया। स्टाफ ने बेड फुल बताए। साथ ही बाहर इंतजार करने को कहा। 

दो दिन फर्श पर कराहता रहा गंभीर मरीज

वार्ड में भर्ती न करने पर छेदी को वार्ड के बाहर हॉल में लेटा दिया गया। वह फर्श पर कराहते रहे। स्टाफ से भर्ती के लिए बार-बार फरियाद की। मगर, बेड नहीं दिया। सोमवार व मंगलवार को मरीज की रात कराहते हुए कटी। उसकी हालत गंभीर हो गई। ऐसे में बुधवार को फिर भर्ती की फरियाद दी। इस दौरान विभाग के स्टाफ ने बेड मुहैया कराने के दो हजार रुपये मांगे। गरीबी का हवाला देकर दो हजार होने से इन्कार किया। करीब दो घंटे बाद एक हजार रुपये पर बेड देने पर कर्मी राजी हुआ। एक हजार देने के बाद मरीज छेदी को वार्ड में भर्ती किया गया।

अफसर देखने पहुंचे, मगर वसूली पर चुप्पी

रामनिवास संघ के अखिल भारतीय पदाधिकारी के चालक हैं। उनके साथ हुई वसूली की घटना पर अफसर पर्दा डाल रहे हैं। उनके मुताबिक एक अधिकारी मरीज को देखने आए थे, मगर वसूली मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की।

निजी में मरीज भेजने का हो चुका भंडाफोड़

केजीएमयू में बेड फुल बताकर धंधा करने का खेल गहरा है। इसमें डॉक्टर से लेकर कर्मी तक का रैकेट बना हुआ है। आठ जनवरी को ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टर मरीज को बेड फुल बताकर निजी अस्पताल रेफर करते रंगे हाथ पकड़ा गया था। बावजूद, धंधे पर लगाम लगाने में केजीएमयू प्रशासन असहाय है।

क्या कहते अफसर

सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार के मुताबिक मरीज से बेड देने के नाम पर पैसा लेने की शिकायत मिली है। मैं बाहर हूं। ऐसे में न्यूरो सर्जरी के विभागाध्यक्ष व चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीके ओझा को मामला फोन पर बता दिया है। उन्होंने जांच कर कार्रवाई की बात कही। वहीं डॉ. ओझा को फोन किया गया तो रिसीव नहीं किया। 


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