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इलाहाबाद हाई कोर्ट का जिला अदालतों के जजों को आदेश, कहा- आर्डर शीट पर साफ-साफ, पठनीय तरीके से लिखें फैसला

Allahabad High Court हाई कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश को जनपद स्तर के सभी न्यायालयों के संज्ञान में लाया जाए। इस बीच कोर्ट ने याची को राहत देते हुए उसके खिलाफ जारी एनबीडब्ल्यू रद कर दिया। साथ ही याची को आदेश दिया कि वह सीआरपीसी की धारा 88 के तहत व्यक्तिगत बंधपत्र और दो जमानतें पेश कर विचारण की कार्यवाही में सहयोग करे।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Published: Fri, 22 Mar 2024 11:23 AM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2024 11:23 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट का जिला अदालतों के जजों को आदेश, कहा- आर्डर शीट पर साफ-साफ, पठनीय तरीके से लिखें फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट का जिला अदालतों के जजों को आदेश, ‘आर्डर शीट पर साफ-साफ

विधि संवाददाता, लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक अहम आदेश में अपने अधीनस्थ सभी जिला अदालतों के जजों को आदेश दिया है कि आर्डर शीट पर आदेश को साफ-साफ और पठनीय तरीके से अंकित किया करें।

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कोर्ट ने कहा कि सभी विचारण न्यायालय और अपीलीय न्यायालय अपने आदेशों को आर्डर शीट पर स्पष्ट तरीके से लिखें और संक्षिप्त शब्दों का प्रयोग करने से बचें। यह आदेश जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने अजय सिंह उर्फ गोलू की ओर से दाखिल एक याचिका को निस्तारित करते हुए पारित किया।

याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए आदेश

याचिका में तलबी आदेश को चुनौती देकर याची की अधिवक्ता अन्नपूर्णा अग्निहोत्री का तर्क था कि अमानत में खयानत के एक अपराधिक मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय, लखनऊ ने याची के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी कर दिया है, जबकि उसे कोई सम्मन प्राप्त नहीं हुआ है। मांग की गई कि उक्त एनबीडब्ल्यू को रद किया जाए।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय, लखनऊ के सामने चल रहे मामले में याची को सम्मन जारी किया गया था किंतु आर्डर शीट पर बिना यह अंकित किये कि उक्त सम्मन याची को प्राप्त कराया गया या नहीं, उसके खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी कर दिया गया। कोर्ट के सामने मामले की आर्डर शीट दाखिल की गई थी जिसके अवलोकन पर जस्टिस विद्यार्थी ने पाया कि आर्डर स्पष्ट नहीं था और बार-बार संक्षिप्त शब्दों का प्रयोग किया गया जिसे समझना कठिन है।

कोर्ट ने बताया- आदेश को साफ-साफ लिखना क्यों जरुरी

अंकित आदेश इस प्रकार लिखा गया है कि उसे पढ़ना भी मुश्किल है। कोर्ट ने कहा कि विचारण न्यायालय द्वारा पारित आदेशों से पक्षकारों के अधिकारों पर प्रभाव पड़ता है। आदेशों को आर्डर शीट पर साफ-साफ अंकित करना इसलिए भी अनिवार्य है कि यदि उक्त आदेश को किसी ऊपरी न्यायालय में चुनौती दी जाए तो वह न्यायालय उक्त आदेश की वैधानिकता की समीक्षा कर सके।

कोर्ट ने कहा कि पहले भी आदेश दिये गए हैं, किंतु प्रस्तुत आदेश को देखने से स्पष्ट है कि विचारण न्यायालय अभी भी आदेश को आर्डर शीट पर साफ-साफ लिखने की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

हाई कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश को जनपद स्तर के सभी न्यायालयों के संज्ञान में लाया जाए। इस बीच कोर्ट ने याची को राहत देते हुए उसके खिलाफ जारी एनबीडब्ल्यू रद कर दिया। साथ ही याची को आदेश दिया कि वह सीआरपीसी की धारा 88 के तहत व्यक्तिगत बंधपत्र और दो जमानतें पेश कर विचारण की कार्यवाही में सहयोग करे।


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