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यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला केस में हाई कोर्ट ने कपिल व धीरज वाधवान को नहीं दी जमानत, याचिका की खारिज

UPPCL PF Scam Case यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कपिल व धीरज वाधवान की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। यूपीपीसीएल के कर्मचारियों के पीएफ से 4122 करोड़ 70 लाख रुपये निकाल कर डीएचएफएल कंपनी में अवैध तौर पर निवेश किया गया था।

By Jagran NewsEdited By: Umesh TiwariPublished: Tue, 29 Nov 2022 10:32 PM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 10:32 PM (IST)
यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला केस में हाई कोर्ट ने कपिल व धीरज वाधवान को नहीं दी जमानत, याचिका की खारिज
हाई कोर्ट ने कपिल व धीरज वाधवान की जमानत याचिका की खारिज।

लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में हुए हजारों करोड़ रुपये के पीएफ घोटाला केस में जेल में बंद डीएचएफएल के तत्कालीन प्रबंध निदेशक व निदेशक कपिल वाधवान तथा धीरज वाधवान की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

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यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने कपिल व धीरज वाधवान की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर पारित किया। याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश चंद्र मिश्रा ने दलील दी कि 26 मई 2022 को आरोपितों को हिरासत में लिया गया था।

24 जुलाई 2022 को उनकी हिरासत के 60 दिन पूरे हो गए लेकिन सीबीआइ मामले में विवेचनापूर्ण कर आरोप पत्र नहीं दाखिल कर सकी, लिहाजा सीआरपीसी की धारा 167 के तहत आरोपित डिफाल्ट बेल पाने के हकदार हैं, क्योंकि उन्हें 60 दिनों से अधिक न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता।

याचिका का सीबीआइ के अधिवक्ता अनुराग सिंह ने विरोध करते हुए कहा कि जिन अपराधों में दोनों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल हुआ, उनमें अधिकतम सजा उम्रकैद तक है। अतः आरोपपत्र दाखिल करने के लिए सीबीआइ के पास 90 दिन का समय था और उस समय के भीतर उसने आरोपपत्र दाखिल कर दिया था।

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि धारा 167 के तहत चार्जशीट 60 दिनों में दाखिल करने की समय सीमा ऐसे मामलों के लिए है जिनमें सजा 10 वर्ष से कम हो। यह भी स्पष्ट किया कि जिन अपराधों में 10 वर्ष या इससे अधिक की सजा का प्रविधान है, वहां न्यायिक हिरासत की अवधि 90 दिनों की हो सकती है।

गौरतलब है कि मामले में आरोप है कि बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से यूपीपीसीएल के 42 हजार कर्मचारियों के पीएफ से 4122 करोड़ 70 लाख रुपये निकाल कर डीएचएफएल कंपनी में अवैध तौर पर निवेश किया गया, जिसमें से 2267 करोड़ 90 लाख रुपये का नुकसान भी हुआ।


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