Syed Modi Murder Case: सैयद मोदी के हत्यारे की उम्र कैद पर हाई कोर्ट की मुहर, शूटर भगवती सिंह उर्फ पप्पू की अपील खारिज
Syed Modi Murder Case इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सैयद मोदी के हत्यारे शूटर भगवती सिंह उर्फ पप्पू की अपील खारिज करते हुए उसकी उम्र कैद बरकरार रखी है। 21 मार्च को अपील पर सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया था।
Syed Modi Murder Case: लखनऊ [विधि संवाददाता]। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ (Allahabad High Court Lucknow Bench) ने 34 साल पहले हुए अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी हत्याकांड (Syed Modi Murder Case) मामले में सजा काट रहे शूटर भगवती सिंह उर्फ पप्पू की अपील बुधवार को खारिज करते हुए उसकी उम्र कैद बरकरार रखी है। यह फैसला जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की अवकाशकालीन पीठ ने सुनाया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 21 मार्च को अपील पर सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया था। इस मामले में तत्कालीन राज्य सभा सदस्य संजय सिंह, अमिता कुलकर्णी मोदी, अखिलेश सिंह, बलई सिंह, अमर बहादुर सिंह, जितेंद्र सिंह उर्फ टिंकू व भगवती सिंह उर्फ पप्पू के खिलाफ सीबीआइ ने चार्जशीट फाइल की थी।
सीबीआइ ने चार्जशीट में कहा था कि सैयद मोदी की पत्नी अमिता मोदी से संजय सिंह के संबंधों की वजह से अभियुक्तों ने इस हत्या की साजिश रची और 28 जुलाई, 1988 को घटना को अंजाम दिया। राजधानी लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम से वापस लौटते समय शाम करीब पौने आठ बजे मारुति कार पर सवार दो व्यक्तियों ने सैयद मोदी को गोली मारी थी।
सत्र अदालत ने संजय सिंह व अमिता मोदी को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद ही आरोपों से बरी कर दिया था। सत्र अदालत के इस निर्णय को पहले हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। वहीं अखिलेश सिंह के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप तय किए जाने को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अन्य अभियुक्तों में बलई सिंह व अमर बहादुर सिंह की विचारण के दौरान हत्या हो गई थी। भगवती सिंह उर्फ पप्पू को सत्र अदालत ने 22 अगस्त 2009 को दोषसिद्ध पाते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
सत्र अदालत के इस फैसले के खिलाफ भगवती सिंह उर्फ पप्पू की ओर से दलील दी गई कि घटना कारित करने का जो उद्देश्य अभियोजन ने बताया था, वह संजय सिंह व अमिता मोदी के संबंध में था। उनके बरी के बाद अपीलार्थी के पास सैयद मोदी की हत्या करने की कोई वजह नहीं थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा है कि सीधे साक्ष्य के मामले में उद्देश्य का सिद्ध होना आवश्यक नहीं है। केडी सिंह बाबू स्टेडियम की कैंटीन के कर्मचारी प्रेमचंद यादव ने अपीलार्थी की पहचान की थी, यह महत्वपूर्ण है।