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यूपी में वर्चुअल आइसीयू से जुड़ेंगे सभी मेडिकल कालेज, गंभीर मरीजों की जान बचाने में मिल सकेगी मदद

प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों को वर्चुअल आइसीयू से जोड़ा जाएगा। इसकी मदद से छोटे शहरों के मेडिकल कालेजों में आइसीयू में भर्ती गंभीर रोगियों की जान विशिष्ट चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञ डाक्टरों की मदद से बचाई जा सकेगी।

By Vikas MishraEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 01:03 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 09:00 PM (IST)
यूपी में वर्चुअल आइसीयू से जुड़ेंगे सभी मेडिकल कालेज, गंभीर मरीजों की जान बचाने में मिल सकेगी मदद
वर्चुअल आइसीयू की सुविधा होने के कारण गंभीर रोगियों को बड़े शहरों की ओर दौड़ नहीं लगानी होगी।

लखनऊ, [आशीष त्रिवेदी]। प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों को वर्चुअल आइसीयू से जोड़ा जाएगा। इसकी मदद से छोटे शहरों के मेडिकल कालेजों में आइसीयू में भर्ती गंभीर रोगियों की जान विशिष्ट चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञ डाक्टरों की मदद से बचाई जा सकेगी। मरीज की पैथोलाजी जांच सहित पूरी केस हिस्ट्री आनलाइन होगी और विशेष डाक्टरों के परामर्श से उसका इलाज किया जाएगा। वर्चुअल आइसीयू की सुविधा होने के कारण गंभीर रोगियों को बड़े शहरों की ओर दौड़ नहीं लगानी होगी। विशेषज्ञ डाक्टर की मदद से उसी जिले में रोगी का बेहतर इलाज कर उसकी जान बचाई जा सकेगी। 

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प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने बताया कि हब एंड स्पोक माडल के तहत अब सभी मेडिकल कालेज के आइसीयू एक-दूसरे से वर्चुअल जोड़े जाएंगे। प्रदेश में मेडिकल कालेजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में अब टेक्नोलाजी का भी भरपूर प्रयोग किया जाएगा। संजय गांधी पीजीआइ, केजीएमयू और डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान सहित अन्य विशिष्ट चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञ डाक्टरों का लाभ इन सभी मेडिकल कालेजों को मिलेगा। मरीज की हालत ज्यादा गंभीर होने की स्थिति में अभी उसे छोटे शहर से बड़े शहर इलाज के लिए लाना पड़ता है, कई बार रास्ते में ही मरीज दम तोड़ देता है।

अब विशेषज्ञ डाक्टर की निगरानी में उस मेडिकल कालेज में ही डाक्टरों की टीम उसका बेहतर इलाज करेगी। मालूम हो कि कोरोना संक्रमण अत्याधिक होने पर कोविड अस्पतालों के आइसीयू वर्चुअल जोड़े गए थे और सफलता पूर्वक इलाज किया गया था। अब इसका विस्तार किया जा रहा है। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से इस तरह की पहल पहली बार की गई है। इसकी शुरुआत के बाद छोटे जिलों के मेडिकल कालेजों को निश्चित रूप से फायदा होगा। दरअसल, छोटो मेडिकल कालेजों में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी होने के चलते गंभीर मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है। 


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