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UP Politics: अखिलेश के सिर फिर होगा कांटों भरा ताज, लगातार तीन चुनाव हारने से नेतृत्व क्षमता साबित करना चुनौती

SP National President Election 29 सितंबर को राष्ट्रीय अधिवेशन में फिर अख‍िलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना तय है। लोकसभा और व‍िधानसभा चुनाव में लगातार म‍िली हार के बाद अब अख‍िलेश के सामने नेतृत्व क्षमता साबित करने की बढ़ी चुनौती होगी।

By Shobhit SrivastavaEdited By: Prabhapunj MishraPublished: Tue, 27 Sep 2022 07:55 AM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 07:55 AM (IST)
UP Politics: अखिलेश के सिर फिर होगा कांटों भरा ताज, लगातार तीन चुनाव हारने से नेतृत्व क्षमता साबित करना चुनौती
SP National President Election सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव फ‍िर चुने जाएंगे राष्ट्रीय अध्यक्ष

लखनऊ, राज्‍य ब्‍यूरो। SP National President Election समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन 29 सितंबर को लखनऊ में होने जा रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस बार भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही होंगे, लेकिन यह वक्त के साथ उनके लिए कांटों भरा ताज साबित होता जा रहा है।

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सत्‍ता में वापसी अख‍िलेश यादव के ल‍िए चुनौती

  • पिता मुलायम सिंह यादव की विरासत संभाल रहे अखिलेश के सामने पार्टी में नेता बने रहने में कोई बाधा नहीं है, लेकिन उनके नेतृत्व में लगातार तीन चुनाव हारने के बाद उनके सामने नेतृत्व क्षमता साबित करने की चुनौती बड़ी होती जा रही है।
  • मुख्यमंत्री रहते अखिलेश एक जनवरी, 2017 को विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन के जरिए पहली बार सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। यह अधिवेशन अखिलेश व चाचा शिवपाल के बीच पार्टी में चल रहे झगड़े के बीच हुआ था जिसमें न मुलायम और न ही शिवपाल पहुंचे थे।
  • पार्टी के मुखिया बनने के बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने कांग्रेस से गठबंधन किया और अपने हिसाब से टिकट दिए लेकिन पार्टी महज 47 सीटों पर सिमटकर रह गई।
  • विशेष अधिवेशन को लेकर विवाद के चलते नौ माह बाद ही अक्टूबर, 2017 में आगरा में फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ जिसमें अखिलेश फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए।
  • इस अधिवेशन में पार्टी के संविधान में बदलाव कर राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया।
  • वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने धुर विरोधी बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया लेकिन सीटें पांच ही हासिल हुई।
  • अखिलेश को अबकी विधानसभा चुनाव में बड़ी उम्मीदें थीं। उन्‍होंने अबकी छोटे-छोटे दलों से समझौता किया। ऐसे में सीटें तो 47 से बढ़कर 111 हो गईं लेकिन पार्टी सत्ता से दूर ही रह गई।
  • एक बार फिर राष्ट्रीय अधिवेशन के माध्यम से अखिलेश का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना तय ही है। इससे पहले 28 सितंबर को प्रदेश सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष चुना जाएगा।

अख‍िलेश के सामने लोकसभा चुनाव 2024 में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती

अखिलेश के सामने अब चुनौतियां पहले से भी अधिक होंगी। पहले नगरीय निकाय और फिर लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की चुनौती है। इस बीच सपा के कई दिग्गज नेता या तो दिवंगत हो चुके हैं या दूसरी पार्टी में चले गए हैं। ऐसे में पिछली गलतियों से सीख लेते हुए अखिलेश को इस बार संगठन को नए सिरे से सक्रिय भी करना होगा।


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