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अखिलेश यादव सरकार ने 53 लोगों को मनमाने ढंग से प्रदान किया यश भारती सम्मान

अखिलेश सरकार ने 53 लोगों को मनमाने ढंग से यश भारती दी। नूतन ठाकुर ने सूचना के अधिकार के तहत संस्कृति विभाग से मिली सूचना के आधार पर यह आरोप लगाया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 05:43 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 08:06 AM (IST)
अखिलेश यादव सरकार ने 53 लोगों को मनमाने ढंग से प्रदान किया यश भारती सम्मान
अखिलेश यादव सरकार ने 53 लोगों को मनमाने ढंग से प्रदान किया यश भारती सम्मान

लखनऊ (जेएनएन)। खनन घोटाले के बाद अखिलेश यादव सरकार में अब यश भारती पुरस्कार प्रदान करने पर प्रश्न उठ रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने आरोप लगाया है कि अखिलेश सरकार ने 53 लोगों को मनमाने ढंग से यश भारती दी। नूतन ठाकुर ने सूचना के अधिकार के तहत संस्कृति विभाग से मिली सूचना के आधार पर यह आरोप लगाया है।

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डॉ. नूतन ने आरटीआइ की सूचना के हवाले से बताया कि 2016-17 के लिए यश भारती पुरस्कारों के संबंध में 20 अक्टूबर, 2016 को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में 54 नामों की संस्तुति की गई। उस समय की संस्कृति मंत्री अरुण कुमारी कोरी की संस्तुति से यह अखिलेश यादव को भेजी गई। नूतन ठाकुर के मुताबिक अखिलेश यादव ने इसमें बिना कोई कारण बताए आगरा के जरदोजी कला के शमीमुद्दीन का नाम काट दिया तथा उसी प्रकार मनमर्जी से 23 नए नाम जोड़ दिए। इसमें चार नाम हाथ से बढ़ाए गए थे। फिर बिना किसी आधार या संस्तुति के 12 नाम बढ़ाए गए। इसमें शाबाद रुवैदी का नाम हाथ से बढ़ाया गया था।

इसके बाद फिर छह नए नाम, फिर तीन, फिर 29 नवंबर 2016 को आइएएस सुहास एलवाई समेत दो तथा 19 दिसंबर 2016 को सात नए नाम मनमाने ढंग से बढ़ाए गए। नाम बढ़ाये जाने का कोई कारण या आधार पत्रावली में नहीं है। नूतन का कहना है यह राजनेताओं के अधिकारों के भारी दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है। यश भारती पुरस्कार लेने वालों में 6 लोग ऐसे हैं जो किसी ना किसी समाजवादी नेता की सिफारिश पर पुरस्कार हासिल कर पाए हैं। अखिलेश सरकार में कद्दावर मंत्री रहे उनके चाचा शिवपाल यादव की सिफारिश पर दो लोगों को जबकि मंत्री आजम खान की सिफारिश पर एक व्यक्ति को यश भारती पुरस्कार से नवाजा गया है। बाहुबली विधायक और उस वक्त मंत्री रह चुक राजा भैया ने भी दो लोगों को पुरस्कार दिलाने में मदद की थी।

सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज की वकील नूतन ठाकुर ने कोर्ट से कहा कि सरकार हर पुरस्कृत व्यक्ति को 11 लाख रुपये नकद और मासिक पेंशन दे रही है। पुरस्कार मनमाने ढंग से दिए जा रहे हैं। इस पर शासकीय अधिवक्ता ने जवाब के लिए समय मांगा। कोर्ट से आग्रह किया गया है कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बना कर 2012 से 2016 के बीच दिए गए सभी यश भारती पुरस्कारों की समीक्षा कराई जाए।

हाईकोर्ट ने भी मांगा है जवाब

आरटीआई कार्यकर्ता के मुताबिक यश भारती पुरस्कार देने में अखिलेश यादव सरकार ने न सिर्फ पूरी तरह से मनमर्जी चलाई बल्कि किसी भी तरह नियम कायदे को फॉलो नहीं किया। इन आरोपों के बाद समाजवादी पार्टी की तरफ से किसी भी तरीके का सफाई या बयान नहीं दिया गया है। जस्टिस देवेन्द्र कुमार अरोड़ा और जस्टिस राजन रॉय की बेंच के समक्ष याची सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज ने कहा पुरस्कारों में सार्वजनिक धन का उपयोग होता है, जिसे मनमाने तरीके से नहीं दिया जा सकता। इस पर कोर्ट ने जवाब देने के लिए संस्कृति सचिव को अभिलेखों के साथ तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी।

यश भारती लौटाएंगे हॉकी ख‍िलाड़ी शकील

पहले यश भारती पेंशन बंद होने और फिर आयकरदाताओं को इसके दायरे से बाहर करने पर पूर्व हॉकी खिलाड़ी शकील अहमद ने नाराजगी जताई है। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और ओल‍िंपिक में देश का प्रतिनिधत्व कर चुके शकील ने यश भारती लौटाने का ऐलान किया है। मौजूदा समय में एयर इंडिया में एजीएम शकील का दावा है कि यश भारती पाने वाले कई और धुरंधर खिलाड़ी भी सम्मान वापस कर सकते हैं। अखिलेश सरकार ने तीन नवम्बर 2015 को जारी पेंशन नियमावली में यश भारती व पद्म पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभाओं को 50 हजार रुपये मासिक पेंशन देने की व्यवस्था की थी।

बीजेपी सरकार ने सत्ता में आने के बाद यह पेंशन बंद कर दी। हाल ही में प्रदेश सरकार ने साहित्यकारों, कलाकारों व खिलाड़ियों की मांग पर नई नियमावली जारी की गई, लेकिन इसमें आयकरदाताओं व सरकारी पेंशन पाने वालों को यश भारती की पेंशन के दायरे से बाहर कर दिया गया। सरकार के इस निर्णय से आहत शकील अहमद ने बताया कि वह जल्द ही यश भारती सम्मान सरकार को लौटा देंगे। शकील का कहना है कि ओलंपिक में हॉकी टीम की अगुआई करने व बेहतरीन प्रदर्शन के लिए यश भारती सम्मान मिला था। सम्मान उन्हें उनकी प्रतिभा और मेहनत की वजह से मिले हैं। एयर इंडिया में नौकरी भी मेहनत से मिली है। फिर भी आयकर अदा करने के आधार पर पेंशन रोकने के फैसले से मैं सहमत नहीं हूं।  


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