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तैयारियों को धता बताते हुए लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण, जान‍िए क्‍या स्‍तर है लखनऊ के प्रदूषण का

जहरीली होती शहर की हवा पर अंकुश लगाने के तमाम प्रयासों को धता बताते हुए एक्यूआई बीते 10 दिनों से बेलगाम हो रहा है। हालांकि कई दिनों के बाद गुरुवार को एक्‍यूआई 270 रिकॉर्ड किया गया है लेकिन प्रदूषण के लिहाज से यह भी काफी ज्यादा है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 08:37 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 08:37 AM (IST)
तैयारियों को धता बताते हुए लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण, जान‍िए क्‍या स्‍तर है लखनऊ के प्रदूषण का
लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हाथ पांव फूल गए हैं।

लखनऊ, जेएनएन। ज्यों-ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता गया। ऐसा ही कुछ हाल राजधानी में वायु प्रदूषण का है। जहरीली होती शहर की हवा पर अंकुश लगाने के तमाम प्रयासों को धता बताते हुए एक्यूआई बीते 10 दिनों से बेलगाम हो रहा है। हालांकि कई दिनों के बाद गुरुवार को एक्‍यूआई 270 रिकॉर्ड किया गया है लेकिन प्रदूषण के लिहाज से यह भी काफी ज्यादा है। स्थितियां बीते वर्ष के मुकाबले इस बार बेहतर रहे इसके लिए लगातार बैठकें की गई। प्रदूषणकारी उद्योगों को नोटिस देने के साथ जिम्मेदार महकमों को भी अलर्ट किया गया लेकिन इसका फिलहाल कोई लाभ नहीं मिलता दिख रहा। 

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लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हाथ पांव फूल गए हैं। क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी रामकरण बढ़ते एक्यूआई के लिए लालबाग व हजरतगंज में चल रही खुदाई को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि शहर में निर्माण कार्य रोक दिए गए हैं। प्रमुख नौ बिल्डरों को नोटिस जारी की गई है। कंस्ट्रक्शन साइट पर पीटीजेड कैमरे भी लगाए जा रहे हैं जिससे पता चल सके कि कंस्ट्रक्शन साइट पर धूल तो नहीं उड़ रही। प्लाईवुड इकाइयों सहित शहर की 68 इकाइयों को जो वायु प्रदूषण के लिहाज से संवेदनशील है नोटिस जारी किए जा चुके हैं।

प्रदूषण की चाल इस बार और तेज

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बीते वर्ष 20 अक्टूबर को एक्यूआई 272 की रेंज में दर्ज किया गया था। इसके बाद 28 अक्टूबर से लगातार 300 से ऊपर रिकॉर्ड किया गया था। वहीं दो नवंबर को एक्यूआइ 422 और चार नवंबर को यह बढ़कर 435 की खतरनाक रेंज में पहुंच गया था। इस वर्ष के आंकड़े देखें तो 19 को एक्यूआई 291और 20 अक्टूबर को 295 रिकॉर्ड किया गया। यही नहीं 21 अक्टूबर को एक्यूआई 308 पहुंच गया। तब से लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। हालांकि गुरुवार को कुछ राहत मिली और एक्यूआई 270 रिकॉर्ड हुआ। दरअसल अक्टूबर-नवंबर वायु प्रदूषण के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। बारिश के बाद अक्टूबर में तापमान कम होने लगता है। वहीं हवा में ज्यादा गति भी नहीं होती।

वातावरण में नमी भी मौजूद रहती है। यह सभी कारक वायु प्रदूषण में इजाफा करते हैं। वहीं दूसरी तरफ खेतों में जलाई जाने वाली पराली, सड़कों की धूल,कूड़ा कचरा जलाए जाने के अलावा वाहनों से होने वाले प्रदूषण से स्थितियां और खराब हो जाती हैं। नतीजा यह होता है शहर प्रदूषण की गहरी धुंध की गिरफ्त में आ जाता है। धुंध के चलते हैं प्रदूषण ऊपर नहीं उठ पाता जिससे आम लोगों के साथ-साथ सांस के रोगियों के लिए विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

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