संवाद से विवाद का हलः मथुरा से लखनऊ होकर श्री श्री का अगला पड़ाव अयोध्या
रविशंकर सर्वसम्मत से राममंदिर मुद्दे के समाधान के लिए आज मथुरा-वृंदावन लखनऊ से होते हुए फैजाबाद-अयोध्या पहुंच रहे हैं।
लखनऊ (जेएनएन)। मथुरा-वृंदावन लखनऊ से होते हुए फैजाबाद श्री श्री रविशंकर राम की नगरी अयोध्या-फैजाबाद पहुंच रहे हैं। उनकी मौजूदगी से जन्मभूमि विवाद के सौहार्दपूर्ण हल का नया अध्याय प्रशस्त होने की उम्मीद है। वहां श्री श्री से जुड़े कार्यक्रम को मैनेज करने एसपी सिंह आज शाम फैजाबाद पहुंच गए। एसपी सिंह पूर्व आईएएस अधिकारी है। गुरुवार को श्री श्री रविशंकर के साथ अयोध्या में दोनों पक्षकारों से मुलाकात प्रस्तावित है।
शाम को फैजाबाद शहर के फ़ोर्ब्स इंटर कॉलेज में दोनों पक्ष के लोगों की गोष्टी होगी। गोष्टी में रविशंकर के साथ-साथ दोनो समुदायों के शामिल होने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में राम मंदिर को लेकर चल रहे विवाद को हल कराने की दिशा में श्री श्री ने अपने कदम बढ़ा दिए हैं। इसी के तहत वह आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले।
दोनों के बीच बातचीत का ब्योरा नहीं मिल सका लेकिन सब कुछ सकारात्मक होने के संकेत हैं। यह मुलाकात 35 मिनट तक चली। अयोध्या जाने के पहले इस मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया है लेकिन कहा कि संवाद से हर विवाद हल किया जा सकता है।
संवाद से हल हो सकता विवाद
राम मंदिर विवाद का सर्वसम्मत हल निकालने के प्रयास में अयोध्या जाने से पहले श्रीश्री रविशंकर ने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आवास पर मुलाकात की। हालांकि मुख्यमंत्री ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया लेकिन कहा कि किसी भी विवाद के हल का सर्वश्रेष्ठ तरीका संवाद है। सर्वसम्मति से निकले हल में किसी पक्ष की हार-जीत नहीं होती। योगी के अनुसार उनकी शुरू से मंशा रही है कि रामजन्म भूमि के विवाद का हल भी संवाद से निकले। सरकार ऐसी किसी भी पहल का स्वागत करेगी। ऐसा नहीं हो सका तो मामला सुप्रीम कोर्ट में है ही। वहां पांच दिसंबर से नियमित सुनवाई होनी है। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्र्रतीक्षा करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि रामजन्म भूमि विवाद में सरकार कोई पक्ष नहीं है पर पक्षकार आपस में कोई समझौता कर सरकार से संपर्क करते हैं तो सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी।
आज अयोध्या जाएंगे रविशंकर
रविशंकर गुरुवार को अयोध्या जाकर राम मंदिर विवाद के बारे में सभी पक्षकारों से बात कर सर्वमान्य हल निकालने की पहल करेंगे। हालांकि बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी रविशंकर की पहल से पहले ही असहमति जता चुके हैं। इस पर रविशंकर की ओर से यह कहा गया है कि अभी वार्ता होनी है। वार्ता के बाद किसी सर्वमान्य हल तक पहुंचेंगे। इसके बाद प्रस्ताव लाएंगे। इसके पहले किसी की मनाही समझ से परे है।
विवाद के हल का प्रशस्त होगा अध्याय
आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री के अयोध्या आगमन के साथ गुरुवार को जन्मभूमि विवाद के सौहार्दपूर्ण हल का नया अध्याय प्रशस्त होगा। श्रीश्री की गणना उदार संतों में होती है। हाल के दिनों में जैसा कि स्वयं श्रीश्री स्पष्ट कर रहे हैं कि मंदिर-मस्जिद विवाद के सौहार्दपूर्ण हल की पहल के पीछे उनका स्वविवेक है। उससे प्रतीत होता है कि वे मंदिर-मस्जिद विवाद के हल की कोशिशों में भी संकीर्णता से ऊपर उठकर सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय की भावना से प्रेरित हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब मंदिर-मस्जिद विवाद के समाधान की पहल शीर्ष स्तर पर हो रही है। स्वयं श्रीश्री ही वर्ष 2003 में सौहार्द का संदेश लेकर रामनगरी की यात्रा कर चुके हैं। हालांकि उनकी उस समय की मुहिम सौहार्द की अलख जगाने के साथ जहां की तहां रह गई थी।
सौहार्दपूर्ण हल असंभव नहीं
गत दशक के शुरुआती वर्षों में ही कांची के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने भी मंदिर-मस्जिद विवाद के सौहार्दपूर्ण हल का अभियान छेड़ा था। बड़ी संख्या में स्थानीय मुस्लिमों और हिंदुओं सहित कुछ बड़ी हस्तियां शंकराचार्य के प्रयास के समर्थन में डटी दिखीं थीं, उससे प्रतीत हुआ था कि जटिल विवाद का सौहार्दपूर्ण हल असंभव नहीं है। हालांकि शंकराचार्य को अंतिम दौर में उन समूहों की ओर से अवरोध का सामना करना पड़ा, जो सौहार्द को दरकिनार कर किसी भी कीमत पर मंदिर अथवा मस्जिद की दावेदारी कर रहे थे। कांची के शंकराचार्य का अभियान थमे डेढ़ दशक हो गए पर आपसी सहमति के फलक पर उन्हें जिस चुनौती का सामना करना पड़ा था, वह चुनौती श्रीश्री का भी स्वागत करने का तैयार है। हाल के दिनों में विहिप के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चंपत राय ने सहमति के प्रयास को यह कहकर खारिज कर दिया है कि भगवान राम की जन्मभूमि से कोई समझौता नहीं किया जा सकता और ऐसे में सहमति का प्रयास औचित्यहीन है।