कोरोना से पीड़ित मरीज की मौत के बाद तीन लाख का बिल देख भड़के परिजन, हंगामा
लखनऊ के गोमतीनगर स्थित निजी अस्पताल में कोरोना से पीड़ित मरीज की मौत के बाद बिल को लेकर हुआ हंगामा।
लखनऊ, जेएनएन। गोमतीनगर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज की बुधवार को देर रात मौत हो जाने के बाद परिवारजन तीन लाख का बिल देख भड़क उठे। उन्होंने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही व अधिक बिल वसूलने का आरोप लगाते हुए देर तक हंगामा किया। उधर अस्पताल ने मरीज के परिजनों द्वारा डॉक्टर व स्टाफ को मारने-पीटने का आरोप लगाया है।
वहीं परिवारीजनों का कहना है कि बिना भुगतान किए अस्पताल प्रशासन ने शव देने से भी इनकार कर दिया। आरोप है कि मरीज को एल-2 में रखकर एल-3 का बिल बना दिया। जबकि अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार रात में ही सीएमओ ऑफिस को सूचना दे दी गई थी। बगैर सरकारी एम्बुलेंस आए सीधे शव नहीं सौंपा जा सकता था। परिवारजनों ने सिर्फ 80 हजार रुपये ही दिए हैं।तीमारदारों ने डॉक्टर कर्मचारियों से मारपीट भी की। पुलिस व जिला प्रशासन के अफसरों ने मौके पर पहुंचकर मामला शांत कराया।
यह है मामला
पानदरीबा निवासी रमेश कुमार सिंह (45) कोरोना वायरस की चपेट में आए गए थे। लोकबंधु अस्पताल में हालत गंभीर होने पर उन्हें तीन सितंबर को मेयो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। भर्ती के बाद मरीज को बाईपैप पर रखना पड़ा। दामाद अनुराग चौहान का आरोप है कि भर्ती के वक्त मरीज की हालत ठीक थी। लगातार वीडियो कॉल से बात हो रही थी। वाट्सएप चैट से भी समय-समय पर तबीयत का हाल लिया जा रहा था। मरीज को समुचित इलाज नहीं मिला। इस वजह से हालत गंभीर हुई। मौत के बाद मनमाना शुल्क मांगा जा रहा है। इलाज लेवल-2 का उपलब्ध कराया गया। बिल पर भी उसका जिक्र है।
वहीं अस्पताल की प्रमुख डॉ. मधुलिका सिंह ने कहाकि मरीज गंभीर था। इसलिए वेंटिलेटर पर रखा गया था। तीमारदारों से लगातार पैसे जमा करने को कहा गया। उन्होंने शुरू में सिर्फ 80 हज़ार रुपये दिए थे। तीमारदारों ने डॉक्टर व कर्मचारियों से मारपीट भी की। इसके बावजूद बिना भुगतान उन्हें शव सौंपा गया है। मैं इस मामले में एफआइआर करूंगी। परिवारजनों के सारे आरोप गलत हैं। इलाज में कोई लापरवाही नहीं की गई है।