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Ayodhya Demolition Case : 28 साल बाद सीबीआइ कोर्ट ने सुनाया फैसला, जानें फैसले की दस महत्वपूर्ण बातें...

अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को ढांचा विध्वंस केस में बुधवार को सीबीआइ कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपितों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ कोई निश्चयात्मक सुबूत नहीं पेश कर सकी। विध्वंस के पीछे कोई साजिश नहीं रची गई।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 01:54 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 05:44 PM (IST)
Ayodhya Demolition Case : 28 साल बाद सीबीआइ कोर्ट ने सुनाया फैसला, जानें फैसले की दस महत्वपूर्ण बातें...
अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को ढांचा विध्वंस केस का फैसला

लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को ढांचा विध्वंस केस में बुधवार को सीबीआइ कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपितों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ कोई निश्चयात्मक सुबूत नहीं पेश कर सकी। विध्वंस के पीछे कोई साजिश नहीं रची गई और लोगों का आक्रोश स्वत: स्फूर्त था। इस मामले के मुख्य आरोपितों में एक स्व. अशोक सिंहल को कोर्ट ने यह कहते हुए क्लीन चिट दे दी कि वह तो खुद कारसेवकों को विध्वंस से रोक रहे थे, क्योंकि वहां भगवान की मूर्तियां रखी हुई थीं। 

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28 साल तक चले इस केस के फैसले की दस प्रमुख बातें...

1. अयोध्या में ढांचा विध्वंस केस का फैसला सुनाने के लिए सीबीआइ के विशेष जज एसके यादव दोपहर 12 बजकर 10 मिनट में कोर्ट पहुंचे। उस समय कोर्ट में 26 आरोपित मौजूद थे, जबकि आडवाणी, डा. जोशी, उमा भारती, नृत्यगोपाल समेत छह आरोपी वीडियो से कोर्ट में जुड़े हुए थे। महज तीन मिनट में ही जज ने अपना फैसला सुनाते हुए आरोपितों को बरी कर दिया।

2. सीबीआइ के विशेष जज एसके यादव ने कहा कि अखबारों में छपी खबरों को प्रामाणिक सुबूत नहीं माना जा सकता क्योंकि उनके मूल नहीं पेश किए गए। फोटोज की निगेटिव नहीं प्रस्तुत किए गए और न ही वीडियो फुटेज साफ थे। कैसेटस को भी सील नहीं किया गया था। अभियोजन ने जो दलील दी, उनमें मेरिट नहीं थी।

3. कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ कोई निश्चयात्मक सुबूत नहीं पेश कर सकी। विध्वंस के पीछे कोई साजिश नहीं रची गई और लोगों का आक्रोश स्वत: स्फूर्त था।

4. सीबीआइ के विशेष जज एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विध्वंस के लिए कोई षडयंत्र नहीं किया गया। घटना पूर्व नियेाजित नहीं थी। एलआईयू की रिपोर्ट थी कि छह दिसंबर 1992 को अनहोनी की आशंका है किंतु इसकी जांच नही कराई गई।

5. मुख्य आरोपितों में एक स्व. अशोक सिंहल को कोर्ट ने यह कहते हुए क्लीन चिट दे दी कि वह तो खुद कारसेवकों को विध्वंस से रोक रहे थे, क्योंकि वहां भगवान की मूर्तियां रखी हुई थीं। 

6. सीबीआइ के विशेष जज एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष की तरफ से जो साक्ष्य पेश किए वो दोषपूर्ण थे। जिन लोगों ने ढांचा तोड़ा उनमें और आरोपियों के बीच किसी तरह का सीधा संबंध स्थापित नहीं हो सका। इस आधार पर कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

7. सीबीआइ के विशेष जज एसके यादव ने कहा कि अयोध्या में दोपहर 12 बजे विवादित ढांचा के पीछे से पथराव शुरू हुआ, उस वक्त अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं। वहां मौजूद सभी आरोपी उग्र भीड़ को रोकने की कोशिश की।

8. सीबीआइ के विशेष जज एसके यादव ने कहा कि सीबीआई ने साध्वी ऋतंभरा व कई अन्य अभियुक्तों के भाषण के टेप को सील नहीं किया। जज ने कहा कि जो कारसेवक वहां मौजूद थे वे सभी उन्मादी नहीं थे। बल्कि कुछ असामाजिक तत्वों ने भीड़ को उकसाया था।

9. विशेष जज ने कहा कि तस्वीरों से किसी को आरोपित नहीं ठहराया जा सकता है। अयोध्या विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था। घटना के प्रबल साक्ष्य नही हैं।

10. विशेष जज ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना और कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं हैं। कैसेट्स को सील नहीं किया गया, फोटोज की निगेटिव नहीं पेश की गई। ऋतम्बरा और कई अन्य अभियुक्तों के भाषण के टेप को सील नहीं किया गया।

यह भी देखें: बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में सभी आरोपी बरी, बाबरी मामले में इकबाल अंसारी ने CBI कोर्ट के फैसला का किया स्वागत


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