सोडा और वेजीटेबल ऑयल से बन रहा है मिलावटी पनीर, लोगों की सेहत से खिलवाड़
राजधानी में बड़े पैमाने पर सिंथेटिक पनीर बाजार में खपाया जा रहा है।
लखनऊ, जेएनएन। सहालग पर पनीर या दुग्ध पदार्थ लेते समय सावधानी बरतें। पनीर और दूध की डिमांड को पूरा करने के लिए मुनाफा खोर दूध के बजाए सिंथेटिक पनीर बेच रहे हैं। राजधानी मेंं बड़े पैमाने पर सिंथेटिक पनीर बाजार में खपाया जा रहा है।
दरअसल शुद्ध पनीर की जगह सिंथेटिक पनीर से पांच गुने तक अधिक मुनाफा होता है। यही वजह है कि असली और नकली का खेल बराबर से चलता है। दूध कारोबारी सतेंद्र यादव का कहना है कि सहालग पर पनीर की डिमांड काफी बढ़ जाती है, जिसके चलते तमाम कारोबारी असली के साथ नकली का भी मिश्रण कर मुनाफा कमाने में जुट जाते हैं। इसके लिए एक महीने पहले से ही सिंथेटिक पनीर की डिमांड हो जाती है। ऑर्डर के हिसाब से मिलावट खोर घटिया पनीर सप्लाई करते हैं। देखने में यह बिलकुल असली पनीर जैसा होता है और देखकर इसे खारिज नहीं किया जा सकता है।
कैसे बनाते हैं सिंथेटिक पनीर
स्किम्ड मिल्क और खाने वाले सोडे के अलावा घटिया पॉम ऑयल, वेजीटेबल ऑयल और बेकिंग पाउडर मिलाकर सिंथेटिक पनीर तैयार किया जाता है। थोक में यह पचास रुपये से लेकर ८० रुपये तक में मिलता है। इसे असली पनीर के साथ मिलाकर ढाई सौ से तीन सौ रुपये किलोग्राम तक में बेचा जाता है।
खरीदते समय बरतें सावधानी
- त्योहार के दौरान पनीर और दुग्ध पदार्थ विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें।
- सिंथेटिक पनीर मुंह में रखने पर आसानी से घुलता नहीं है।
- पकने में भी सिंथेटिक पनीर समय लेेता है और यह च्विंगम की तरह दातों में चिपकता है।
- नकली पनीर असली की तरह बिलकुल सफेद नहीं होता है, इसका रंग हल्का पीलापन लिए होता है।
लीवर के लिए घातक
डॉ. विनोद वर्मा का कहना है कि किसी भी तरह की खाद्य सामग्री जो कृत्रिम तरीके से तैयार की जाती है। बीमारियों की जड़ होती है। खासकर ऐसा पनीर लीवर के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है।