लखनऊ : 'किसके रोके रुका है सवेरा' से मिली कनक को पहचान, कहा-चुनौतीपूर्ण किरदार में आता है मजा
कनक का कहना है कि यह किरदार अपने आपमें काफी चुनौती पूर्ण है लेकिन इसे निभाने में काफ़ी मजा भी आ रहा है। नोएडा में मिस ब्यूटीफुल स्माइल की प्रतियोगिता जीत चुकी कनन ने बताया कि बतौर अभिनेत्री अपने करियर की शुरुआत एक बड़ी फ़िल्म से की थी।
लखनऊ, जेएनएन। विकास के इस डिजिटल युग में आधी आबादी की शिक्षा को लेकर अभी धारणा नहीं बदली है, शहर के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में इसे देखा जा सकता है। खूब पढ़ो, खूब बढ़ो के स्लोगन के माध्यम से जागरूकता फैलाने की सरकार की मुहिम रंग लाने लगी है। इसी सामाजिक परिवेश के तानेबाने को एक सूत्र में समाहित कर डीडी किसान पर किसकेे रोके रुका है सवेरा धारावाहिक का प्रसारण किया जा रहा है।
बदलते परिवेश में महिलाएं अब हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। किसके रोके रुका है सवेरा में सशक्त किरदार निभाने वाली कनक यादव ने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया है। उनका किरदार ऐसी लड़की का है जिसकी कम उम्र में शादी कर दी जाती है। शादी के बाद उसे वहां के रीति रिवाजों और बंधनों में बांध दिया जाता है। घर के काम काज पति परिवार को ही तो संभालना है, क्या करोगी गी पढ़ लिख कर। तमाम रुकावटों और विरोध के वावजूद वह किस तरह से पढ़ लिखकर एक अधिकारी बनती है और समाज को मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास करती है।
कनक का कहना है कि यह किरदार अपने आपमें काफी चुनौती पूर्ण है, लेकिन इसे निभाने में काफ़ी मजा भी आ रहा है। नोएडा में मिस ब्यूटीफुल स्माइल की प्रतियोगिता जीत चुकी कनन ने बताया कि बतौर अभिनेत्री अपने करियर की शुरुआत एक बड़ी फ़िल्म से की थी, लेकिन फ़िल्म रिलीज नहीं हो पाई तो उस फिल्म का चर्चा करना ठीेक नहीं है। छोटे पर्दे पर कनक की शुरुआत डीडी के 'नैंसी' धारावाहिक से हुई। इसमें कनक ने रज़ा मुराद की बेटी सौंदर्या किरदार का किरदार निभाया था। इस धारावाहिक से उन्हें खूब पहचान मिली और देखते ही देखते वह छोटे पर्दे की स्टार अभिनेत्री बन गयी। इसके बाद उन्होंने जय जय जय बजरंगबली, बालिका वधू, गौतम बुद्धा, पुनर्विवाह, दिल आशना है जैसे कई धारावाहिको और शार्ट फ़िल्मो में काम किया।
उन्होंने भोजपुरी फिल्म 'रब्बा इश्क़ ना होवे' का निर्माण किया और फिर वह स्वयं अभिनेत्री की भूमिका को निभाया। फ़िल्म रिलीज हुई तो कनक के काम को सबने खूब सराहा। इससे पहले भोजपुरी सिनेमा के बारे में उन्हें यह पता था कि भोजपुरी फ़िल्मे अच्छी नही होती, लेकिन इस फ़िल्म के बाद उनका भोजपुरी सिनेमा के प्रति नजरिया बदला और वह दामाद हो तो ऐसा, प्यार तो होना ही था,सांची रे पिरितिया तोहार जैसी करीब एक दर्जन भोजपुरी फिल्मों में किरदार निभाकर अपनी अलग पहचान बनाई।