दो दिलों के मिलन का गवाह बना वेलेंटाइन डे
एसिड अटैक सर्वाइवर प्रमोदिनी राउल सॉ उर्फ रानी से सरोज की सगाई
लखनऊ (जागरण संवाददाता)। सदियों से लोग प्रेम करते आ रहे हैं। कभी-कभी प्रेम के कुछ मानक भी बन जाते हैं जिनमें एक मानक है 'सुंदरता'। मगर, कुछ रिश्ते इस मानक को तोड़कर जोड़े जाते हैं। ऐसे ही एक रिश्ते का गवाह बना 'वेलेंटाइन डे'। 'तेरे लिए दुनिया छोड़ दी है कि तुझ पे ही सांस आके रुकी', 'हर दुआ में शामिल तेरा प्यार हो' जैसे प्यार भरे नगमों के बीच एसिड अटैक पीड़िता प्रमोदिनी राउल सॉ रितुपर्णा उर्फ रानी को जब सरोज ने सगाई की अंगूठी पहनाई तो माहौल खुशनुमा हो गया। इस खूबसूरत पल के गवाह बने मेहमानों ने भी जोरदार तालियों से दोनों का स्वागत किया।
गोमतीनगर स्थित शीरोज हैंगआउट कैफे में बुधवार को आयोजित सगाई समारोह में सरोज और रानी के परिजनों के अलावा शहर के कुछ चुनिंदा मेहमानों में राज्यमंत्री स्वाति सिंह, एमएलसी सुनील सिंह साजन, कवि सर्वेश अस्थाना, पंकज प्रसून, पावर विंग संस्था की अध्यक्ष सुमन रावत, प्रतिमा गौर, संजय जैन, शीरोज हैंगआउट के फाउंडर आलोक दीक्षित, को-फाउंडर आशीष सॉ, उड़ीसा की इंस्टीट्यूट फॉर सोशल डेवलपमेंट संस्था की फाउंडर शुभश्री दास सहित एसिड अटैक सर्वाइवर शामिल रहे।
दिल का सौदा है प्यार
लाल व बादामी रंग के लहंगे में सजी रानी की खूबसूरती देखते ही बन रही थी। इस मौके पर रानी ने अपने बीते दिनों की बातें साझा करते हुए कहा कि एक लड़की के लिए शादी बहुत बड़ा फैसला होता है। और, फिर मेरे जैसी लड़की को कौन अपनी पत्नी और बहू बनाना चाहेगा, मैं यही सोचती थी। मगर, 2016 में जब सरोज ने मुझे दिल्ली में प्रपोज किया तो मैंने सरोज से कहा कि जिस दिन मैं देखने लगूंगी उस दिन शादी के लिए हां करूंगी। जब मैं बाई आंख का इलाज कराकर फ्लाइट से लौट रही थी तो यही सोच रही थी कि जब मैं पहली बार देखूं तो मेरे सामने शीरोज के आलोक भैया, आशीष भैया, मेरी मां या सरोज का चेहरा सामने हो। इत्तिफाक से फ्लाइट में जब अचानक मुझे दिखने लगा तो सरोज मेरे साथ थे। उस खुशी को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती हूं। सरोज ने मेरा हाथ थामकर सच में प्रेम शब्द को सार्थक किया है। प्यार दिल से होता है इसीलिए कहते हैं कि प्यार दिल का सौदा है।
पंद्रह साल की उम्र में हुआ था अटैक
रानी कहती हैं, मैं मूल रूप से उड़ीसा की हूं। वर्ष 2009 में महज 15 साल की थी जब मुझ पर एसिड डाला गया। इस हमले में करीब 80 फीसद शरीर झुलस गया था। नौ महीने तक आइसीयू में रही। पांच साल उड़ीसा में और फिर दिल्ली में इलाज चला। इस दौरान सरोज ने हर तरह से मेरी मदद की। पहले लगा कि यह सबकुछ उन्होंने इंसानियत के नाते किया। मगर, जब उन्होंने प्रपोज किया तो यकीन ही नहीं हुआ। हम दोनों की सोच और भावनाएं एक जैसी हैं। हमने तय किया है कि हम मिलकर समाज सेवा करेंगे।
रानी को दिए जाएंगे पांच लाख रुपये
शीरोज हैंगआउट कैफे के फाउंडर आलोक दीक्षित व आशीष सॉ ने बताया कि शीरोज न केवल एसिड पीड़िताओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम कर रहा है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है।
ऑनलाइन फंड रेजिंग प्लेटफॉर्म मिलाप के जरिए हम पांच लाख रुपये का फंड एकत्र कर रहे हैं जिससे उड़ीसा में रानी अपना खुद का कैफे खोल सके।