राजधानी में 82 हजार बच्चे कुपोषित, 30 हजार से अधिक महिलाएं एनीमिया की शिकार
लखनऊ में 805 गांवों में अधिकांश ब'चे जन्म से ही कुपोषित हैं। पोषण न मिलने से गंभीर श्रेणी में पहुंचे 7359 बच्चे।
लखनऊ[महेंद्र पाण्डेय]। कुपोषण मिटाने के सरकारी प्रयास बेकार साबित हो रहे हैं। राजधानी में ही कुपोषित बच्चों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। अब यह संख्या 82 हजार पार हो चुकी है, जिनमें सात हजार से अधिक बच्चे अतिकुपोषित यानी गंभीर श्रेणी में पहुंच गए हैं। हैरत की बात यह है कि अधिकारियों के द्वारा गांव 'गोद' लेने के बाद भी कुपोषित बच्चों की सेहत में सुधार नहीं हो सका है।
लखनऊ में 805 गांवों में अधिकांश बच्चे जन्म से ही कुपोषित हैं। शासन ने प्रदेश में कुपोषण मिटाने की पहल की थी। इसी क्रम में जिला स्तरीय अधिकारियों को गांव गोद दिलाने के साथ ही कुपोषित बच्चों, गर्भवती, धात्री व किशोरियों की सेहत की देखभाल का जिम्मा सौंपा गया था। इसी बीच एक और योजना (हौसला पोषण) शुरू की गई थी। इसके तहत प्रशासन, विकास व बाल विकास एवं पुष्टाहार अधिकारियों की समिति गठित कराई गई थी। जिसे कुपोषण मिटाने, कार्यक्रमों की निगरानी करने व योजनाओं को प्राथमिकता पर संचालित कराने का दायित्व भी सौंपा गया था। इन सबके बावजूद कुपोषण की तस्वीर भयावह होती जा रही है। वहीं, 30 हजार से अधिक किशोरियां, गर्भवती, धात्री एनीमिया से ग्रस्त पाए गए हैं। राजधानी क्षेत्र के आंकड़े :
-राजस्व गांव : 805
- अति कुपोषित बच्चे : 7359
- कुपोषित बच्चे : 75499
- गर्भवती : 27627
- धात्री : 25607
- किशोरी : 10864
- किशोरी, धात्री व गर्भवती में एनीमिया की शिकार : 49 प्रतिशत। क्या कहते हैं अफसर?
जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेंद्र दुबे के मुताबिक, कुपोषण को मिटाने के लिए प्रयास चल रहा है। इस क्रम में हर महीने के पहले बुधवार को ब्लाक स्तर पर सुपोषण मेला लगाया जाएगा।