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'कठघरे' में 'सलाखों' के इंतजाम, UP की 72 जेलों में क्षमता से 68% अधिक बंदी; 5 वर्ष में 2024 की मौत

समाज के लिए यह विडंबना ही है कि अपराधियों की संख्या इतनी अधिक हो चुकी है कि उनके लिए जेलें छोटी पड़ रही हैं। बंदी जेल में ठूस दिए जा रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 09:44 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 08:34 AM (IST)
'कठघरे' में 'सलाखों' के इंतजाम, UP की 72 जेलों में क्षमता से 68% अधिक बंदी; 5 वर्ष में 2024 की मौत
'कठघरे' में 'सलाखों' के इंतजाम, UP की 72 जेलों में क्षमता से 68% अधिक बंदी; 5 वर्ष में 2024 की मौत

लखनऊ [आलोक मिश्र]। समाज के लिए यह विडंबना ही है कि अपराधियों की संख्या इतनी अधिक हो चुकी है कि उनके लिए जेलें छोटी पड़ रही हैं। बंदी जेल में ठूस दिए जा रहे हैं। हाल यह है कि उत्तर प्रदेश की 72 जेलों में क्षमता से 68 फीसद अधिक बंदी निरुद्ध हैं। इनके लिए आरामदायक जिंदगी का हिमायती कोई नहीं है, लेकिन जब अव्यवस्था समेत तमाम कारणों से इतनी मौतें होती हैं तो सलाखों के इंतजाम बार-बार कठघरे में घिरे नजर आते हैं। पांच वर्ष में कारागार में हो चुकीं 2024 मौतें सरकारी तंत्र पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं।

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बरेली की जिला और सेंट्रल जेल में दो दिनों में बीमारी से चार बंदियों की मौत को लेकर एक बार सलाखों के पीछे की व्यवस्था सवालों में है। यूपी की 72 जेलों में 60340 बंदियों को रखे जाने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में यहां 101297 बंदी निरुद्ध हैं। इनमें 27612 सिद्धदोष और 73685 विचाराधीन बंदी हैं। इन आंकड़ों से जेल के भीतर की व्यवस्था का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

इन हालात में लंबे समय तक कारागार की चहारदीवारी के पीछे रहने से बीमारियां भी बढ़ रही हैं। जेलों में बंदियों की मौत का सिलसिला इसका गवाह है। कारागार में इतनी मौत को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कारागार मुख्यालय से जवाब भी तलब कर चुका है। इन मौतों में बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी हत्याकांड समेत छह बंदियों की हत्याएं भी शामिल हैं, जबकि सात बंदियों की मृत्यु अन्य कारणों से हुई।

निर्माणाधीन हैं चार जेलें

वर्तमान में चार नई जेलें निर्माणाधीन हैं और शासन ने बरेली की नई जेल को सेंट्रल जेल का दर्जा देने के साथ ही पुरानी जिला जेल को फिर से शुरू किए जाने का फैसला भी लिया है। बीते दिनों मुख्यमंत्री ने 970 बंदियों की क्षमता के अंबेडकरनगर जिला कारागार का उद्घाटन भी किया था।

जल्द 6838 बंदियों को रखने की बढ़ेगी क्षमता

डीजी जेल आनंद कुमार का कहना है कि उत्तर प्रदेश में 11 कारागार विहीन जिलों में शामिल अमेठी व महोबा में जेल निर्माण के लिए भूमि अर्जित कर ली गई है। इसके अलावा औरैया, शामली, कुशीनगर, अमरोहा, चंदौली, भदोही, हाथरस, संभल व हापुड़ में भूमि अर्जन की कार्रवाई चल रही है। जेलों में अतिरिक्त बैरकों का निर्माण भी कराया जा रहा है। निर्माणाधीन चार कारागारों में 5716 बंदियों तथा 38 बैरकों के निर्माण से 1122 बंदियों को निरुद्ध करने की क्षमता बढ़ जाएगा।

यहां होंगी नई जेलें

1. जिला जेल संतकबीरनगर : 562 बंदियों की क्षमता।

2. जिला जेल श्रावस्ती : 502 बंदियों की क्षमता।

3. जिला जेल प्रयागराज : 2688 बंदियों की क्षमता।

4. जिला जेल इटावा : 1964 बंदियों की क्षमता।

कब कितनी मौत

वर्ष 2015 में 346

वर्ष 2016 में 409

वर्ष 2017 में 399

वर्ष 2018 में 443

वर्ष 2019 में 427 


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