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इमाम की शहादत सुन अजादारों में मचा कोहराम, जगह-जगह हुआ आग का मातम Lucknow News

पुराने लखनऊ में इमामबाड़ों में किया गया आग का मातम।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 01:02 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 01:02 PM (IST)
इमाम की शहादत सुन अजादारों में मचा कोहराम, जगह-जगह हुआ आग का मातम Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। कर्बला के शहीदों का गम मनाने का सिलसिला गुजरते समय के साथ लगातार बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार छह मुहर्रम को विक्टोरिया स्ट्रीट में चल रही सिलसिलेवार मजलिस के लिए सुबह से ही काले कपड़ों में अजादारों की भीड़ जुटने लगती है। मजलिस को खिताब कर मौलाना ने जनाब-ए-अली अकबर की दर्दनाक शहादत बयां की, जिसे सुनकर अजादारों में कोहराम मच गया। मजलिस के बाद शबीह-ए-रसूल के ताबूत मुबारक की जियारत कराई गई। अजादारों ने नम आंखों से जियारत कर शहजादी को आंसुओं का पुरसा पेश किया।

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अकबरी गेट स्थित इमामबाड़ा सैयद तकी साहब में मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने कर्बला और इस्लामी तालीम उनवान से अशरे की छठी मजलिस पढ़ी। हजरत अबु तालिब की फजीलत बयां करते हुए मौलाना ने कहा कि कुछ मुसलमान अबु तालिब को बेदीन कह रहा है, लेकिन वह यह भूल गया कि उन्होंने ही अपनी पूरी जिंदगी हजरत मुहम्मद साहब की हिफाजत की। ऐसे लोगों को सोचना चाहिए कि उस समय जब पूरा अरब नबी का दुश्मन था, तो हजरत अबुतालिब अकेले वह इंसान थे जिन्होंने अपनी और अपने परिवार की जान की परवाह न करते हुए हजरत मुहम्मद साहब की रक्षा की। क्योंकि वह उसी की मद्द कर रहे थे, जिसके दीन पर वह खुद थे। हजरत अबुतालिब के बच्चों की कुर्बानियों के बदले ही इस्लाम बाकी है। इमामबाड़ा गुफरानमआब में मौलाना कल्बे जवाद ने मजलिस में पढ़ा किया हजरत मुहम्मद साहब के बाद अल्लाह ने इस्लाम को लोगों तक पहुंचाने के लिए कुरआन व अहलेबैत को भेजा। इसलिए सही इस्लाम को समझने के लिए अहलेबैत की रोशनी में कुरआन को समझना होगा। 

 

शाही मेहंदी का जुलूस आज : हजरत इमाम हसन अलेहिस्सलाम के यतीम जनाब-ए-कासिम की शहादत के गम में शनिवार को ऐतिहासिक शाही मेहंदी का जुलूस निकाला जाएगा। जुलूस में हाथी-ऊंट पर शाही निशान, पीएसी सहित कई मातमी बैंड शामिल होंगे, तो वहीं मेवों व फलों से सजे थाल और अराईश मेहंदी के साथ अलम मुबारक व जुलजनाह की जियारत कराई जाएगी।

बड़े इमामबाड़े में मौलाना मजलिस को खिताब करेंगे। बाद मजलिस जुलूस के निकलेगा, जो अपने निर्धारित मार्ग रूमी दरवाजा, घंटाघर होता हुआ छोटे इमामबाड़े जाएगा। वहीं, कश्मीरी मुहल्ला स्थित मस्जिद शरगा पार्क से भी मेहंदी उठेगी। दोपहर एक बजे मौलाना मजलिस पढ़ेंगे। 

 

इसी तरह दोपहर में शाहगंज स्थित मस्जिद मोलसरी में भी मेहंदी की जियारत कराई जाएगी। मजलिस के बाद अंजुमन नौहाख्वानी व सीनाजनी कर पुरसा पेश करेगी। इदारा बका-ए-इस्लाम की ओर से सआदतगंज स्थित कर्बला दियानतुद्दौला बहादुर में यौम-ए-कासिम मनाया जाएगा। इसके बाद अजादारों को शबीह-ए-मुबारक की जियारत कराई जाएगी।

घरों में भी रखे जाते हैं ताजिए : मुहर्रम के दौरान इमामबाड़ों को सजाने के लिए लोग अपने घरों में भी ताजिए बना रहे हैं। अधिकतर लोग ताजिया बनाकर घरों पर रखते हैं। पुराने लखनऊ वाले इमरान अख्तर ने इस वर्ष हरे, लाल व सफेद कलर के चमकीले कागज से एक पांच फीट की आकर्षक जरीह अपने घर में बनायी है। इस जरीह बनाने में मात्र आठ सौ रुपये की सामग्री लगी है। इसकी बाजार में कीमत लगभग पांच हजार रूपये है। जरीह में बांस की तीलियां, शीशा, सिलवर टीकी और छत्री में गोल्डन व सफेद चमकीली झालर से सजाया है। जरीह का डिजाइन बहुत सुंदर लग रहा है।

शहीदों से सरदार है हजरत हम्जा : कारी मो. सिद्दीक 

मुहर्रम की छह तारीख को अकबरी गेट स्थित एक मिनारा मस्जिद में जलसे को खिताब करते हुए मो. सिद्दीक ने कहाकि हजरत हम्जा रजि. तमाम शहीदों से सरदार हैं। उन्होंने यौमे हम्जा की शहादत को बयां किया। इस दौरान हाफिज अब्दुल रशीद, सैयद मो. इकबाल, कारी मो. अल्ताफ, कारी ताहा, कारी मो. नोमान आदि शामिल रहें। वहीं दारुल उलूम निजामिया फरंगी महल में ‘शुहादाये दीने हक व इस्लाहे माआशरह’ के तहत छह मुहर्रम को जलसा हुआ। इसी तरह दरगाह दादामियां में भी जलसे को खिताब किया गया।


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