संक्रमण ले रहा 30 फीसद लोगों की जान
- अस्पताल में साफ-सफाई की व्यवस्था हो दुरुस्त - ओटी-आइसीयू में हाई लेवल क्लीनिंग की जरूरत
- अस्पताल में साफ-सफाई की व्यवस्था हो दुरुस्त
- ओटी-आइसीयू में हाई लेवल क्लीनिंग की जरूरत
जागरण संवाददाता, लखनऊ : स्वच्छता का रोल घर से लेकर अस्पताल तक में अहम है। आस-पास की गंदगी जहां जनमानस को बीमारी कर रही है, वहीं अस्पताल में सफाई की कमी जानलेवा बन रही है। कारण, खतरनाक बैक्टीरिया पलक झपकते ही मरीज को अपनी चपेट में ले रहे हैं।
ये बातें केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी की डॉ. शीतल वर्मा ने कहीं। कलाम सेंटर में आयोजित 'स्वच्छता पखवारा' में सफाई के महत्व पर चर्चा हुई। डॉ. शीतल ने कहा कि अस्पतालों में सर्जरी, आइसीयू, वेंटीलेटर एवं वार्ड के 30 फीसद मरीजों की मौत संक्रमण से हो रही है। इसका प्रमुख कारण अस्पतालों में विसंक्रमण के प्रोटोकॉल को नजरंदाज करना है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट मौजूद रहे। इस दौरान एमबीबीएस बैच-2017 के छात्रों ने पोस्टर, रंगोली बनाकर स्वच्छता के महत्व को दर्शाया।
सफाई के अलग-अलग मानक
अस्पताल में क्रिटिकल केयर, सेमी क्रिटिकल केयर, नॉन क्रिटिकल केयर यूनिट होती हैं। ऐसे में क्रिटिकल केयर में आइसीयू, ओटी, एचडीयू आते हैं। इसमें दिन में कम से कम तीन बार हाई लेकर डिसइंफेक्टेंट सफाई हो। वहीं सेमी क्रिटिकल में वार्ड व ओपीडी हैं। इसमें इंटरमीडिएट डिसइंफेक्टेंट दो बार सफाई होनी चाहिए। वहीं नॉन क्रिटिकल केयर में हॉस्टल, आवास व कैंपस आता है। इसमें एक बार दिन में लो लेवल डिसइंफेक्टेंट होना चाहिए।
ड्रिप में जा रहे सीडोमोनास बैक्टीरिया
डॉ. शीतल के मुताबिक वातावरण में सीडोमोनास व स्टेफायलोकोकस बैक्टीरिया रहते हैं। वार्ड की साफ-सफाई न होने पर यह मरीज के कैथेटर, ड्रिप, चिकित्सकीय उपकरण में चिपक जाते हैं, जो कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के लिए जानलेवा बन जाते हैं।