' 2030 तक 25 फीसद जीव व वनस्पतियां हो जाएंगे विलुप्त'
एनबीआरआइ में पौधों एवं पर्यावरणीय प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन।
लखनऊ, जेएनएन। विश्व में हर घंटे वनस्पतियों एवं जीवों की 1800 किस्में लुप्त हो रही हैं। संभावना है कि वर्ष 2030 तक 25 फीसद प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एंवायरमेंटल बॉटनिस्ट्स (आइएसइबी) और सीएसआइआर- एनबीआरआइ द्वारा पौधों एवं पर्यावरणीय प्रदूषण पर आयोजित चार दिवसीय छठे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बीएचयू के प्रो. जेएस सिंह ने कहा कि तापमान वृद्धि के चलते वर्ष 2100 तक समुद्र तल में 88 सेमी की अनुमानित बढ़त होगी। इससे अनेक निचले इलाके डूबने की कगार पर होंगे या डूब जाएंगे। लगभग पांच करोड़ आबादी विस्थापित होने को मजबूर होगी। जर्मनी के प्रो. एडविन ग्रिल ने कहा कि तापमान बढऩे से पौधों में पानी का वाष्पन बढ़ रहा है।
पौधों में पानी का नुकसान रोकने के लिए एब्सेसिस एसिड प्लांट हार्मोन का छिड़काव कर सकते हैं। नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. सीके वाष्र्णेय ने कहा कि 2050 तक जैव विविधता का 50 फीसद हिस्सा खत्म हो जाएगा। बढ़ती आबादी, घटते जंगल, कंक्रीट में बदलती खेती योग्य भूमि के साथ जलवायु परिवर्तन इसकी प्रमुख वजह है। इससे पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि पर्यावरणीय प्रदूषण पर वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं के परस्पर संवाद से प्रदूषण से निपटने के लिए रणनीति तैयार हो सकेगी। प्रदूषण से सिर्फ पौधे ही नहीं उन पर निर्भर रहने वाले कीट-पतंगे एवं अन्य जीव-जंतु भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं। ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए नवीन संसाधनों पर शोध किए जाने की आवश्यकता है। इस मौके पर एनबीआरआइ के निदेशक प्रो. एसके बारिक, आइएसइबी के सचिव डॉ. केजे अहमद मौजूद रहे।