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Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में रामलला 493 वर्ष बाद चांदी के झूले पर विराजमान, रक्षाबंधन तक झुलाया जाएगा झूला

Ramlalla on Silver Carousel रामनगरी में अब रामलला श्रावणी पूॢणमा यानी रक्षाबंधन तक इसी चांदी के हिंडोले पर विराजमान रहेंगे और उन्हेंं झूला झुलाया जाएगा। श्रीराम तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या में रामलला के लिए चांदी का झूला तैयार कराया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 13 Aug 2021 12:27 PM (IST)Updated: Fri, 13 Aug 2021 05:09 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में रामलला 493 वर्ष बाद चांदी के झूले पर विराजमान, रक्षाबंधन तक झुलाया जाएगा झूला
शुक्रवार को वैकल्पिक गर्भगृह में उनका झूला पड़ गया।

अयोध्या, जेएनएन। रामनगरी अयोध्या में रामलला शुक्रवार को 493 वर्ष बाद चांदी के झूला पर विराजमान हो गए। राम जन्मभूमि परिसर में लम्बे समय से अस्थाई गर्भ ग्रह में विराजमान रामलला को शुक्रवार को नवनिर्मित रजत हिंडोले पर आसीन कराया गया।

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रामनगरी में अब रामलला श्रावणी पूॢणमा यानी रक्षाबंधन तक इसी चांदी के हिंडोले पर विराजमान रहेंगे और उन्हेंं झूला झुलाया जाएगा। श्रीराम तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या में रामलला के लिए चांदी का झूला तैयार कराया है। सावन शुक्ल पंचमी तिथि के हिसाब से शुक्रवार को वैकल्पिक गर्भगृह में उनका झूला पड़ गया। जिस पर रामलला सहित चारों भाइयों का विग्रह स्थापित कर झुलाया जा रहा है।

रामलला का झूलनोत्सव सावन की पूर्णिमा यानी 22 अगस्त तक चलेगा। रामलला को पहले से ही प्रत्येक वर्ष सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी से लेकर पूर्णिमा तक झूले पर झुलाया जाता रहा है, किंतु वह झूला लकड़ी का था। इस बार रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला की गरिमा के अनुरूप चांदी का झूला तैयार कराया है।

रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास के अनुसार विशेष पूजन के बाद रामलला सहित चारों भाइयों के विग्रह को झूले पर स्थापित किया गया। सनातन उपासना परंपरा और शास्त्रों के मर्मज्ञ जगद्गुरु रामानुजाचार्य डॉ. राघवाचार्य के अनुसार यह रामलला के गौरव की वापसी ही नहीं, बल्कि संपूर्ण भारतीयता के गौरव की प्रतिष्ठा का क्षण है, वह इसलिए कि आराध्य की प्रतिष्ठा के साथ समाज और देश की प्रतिष्ठा सुनिश्चित होती है।

अयोध्या में करीब 493 वर्ष पहले भव्यता-दिव्यता का पर्याय राम मंदिर तोड़े जाने के बाद से ही रामलला की सेवा-पूजा उपेक्षित रही है। नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम फैसला आने के साथ रामलला को टेंट के अस्थाई मंदिर से बाहर करने का प्रयास शुरू कर दिया गया। अब यहां न केवल भव्य मंदिर निर्माण की प्रक्रिया निरंतर आगे बढ़ रही है, बल्कि रामलला के दरबार में वह सारे उत्सव होने लगे हैं, जो वैष्णव आस्था के शीर्ष केंद्र पर होने चाहिए तथा जिन उत्सवों से रामजन्मभूमि शताब्दियों तक वंचित रही है।  


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