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यूपी में पिछले वर्ष आज ही के दिन मिला था पहला कोरोना का रोगी, संक्रमण पर अचूक वार कर पेश की मिसाल

One Year Of Coronavirus Infection In UP उत्तर प्रदेश में एक साल पहले जब आगरा में जूता व्यवसायी का परिवार कोरोना संक्रमित पाया गया था तो हड़कंप मच गया था। साल भर में राज्य सरकार ने बेहतर इंतजाम कर नई मिसाल कायम की।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 07:07 AM (IST)
यूपी में पिछले वर्ष आज ही के दिन मिला था पहला कोरोना का रोगी, संक्रमण पर अचूक वार कर पेश की मिसाल
उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष छह मार्च 2020 के दिन पहला कोरोना वायरस संक्रमित रोगी मिला था।

लखनऊ [आशीष त्रिवेदी]। याद कीजिए आज से ठीक एक साल पहले जब उत्तर प्रदेश के आगरा में जूता व्यवसायी का परिवार कोरोना संक्रमित पाया गया था, तो हड़कंप मच गया था। यूपी में छह मार्च, 2020 को संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। उस समय सिर्फ 60 लोगों की कोरोना जांच की जा सकती थी और अस्पतालों में इंतजाम भी पर्याप्त नहीं थे। साल भर में राज्य सरकार ने बेहतर इंतजाम कर नई मिसाल कायम की। देश में सर्वाधिक 3.18 करोड़ लोगों की जांच यूपी में हुई है।

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उत्तर प्रदेश में अभी तक कोरोना से 6.04 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और इसमें से 5.93 लाख स्वस्थ्य हो चुके हैं। रिकवरी रेट 98.2 प्रतिशत है। प्रदेश में संक्रमण की दर अधिकतम 4.2 प्रतिशत सितंबर में जब कोरोना संक्रमण पीक पर था, उस समय सर्वाधिक 68,235 एक्टिव केस थे। यानी केंद्र द्वारा निर्धारित पांच प्रतिशत के न्यूनतम मानक से भी कम संक्रमण दर थी।

लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष प्रो. तूलिका चंद्रा कहती हैं कि सबसे पहले पूल टेस्टिंग, प्लाज्मा थैरेपी प्रदेश में ही शुरू हुई। अब हर दिन दो लाख लोगों की कोरोना जांच की जा सकती है। अब 229 सरकारी व प्राइवेट लैब में कोरोना की जांच की जा रही है। सर्वाधिक 3.18 करोड़ लोगों का कोरोना टेस्ट प्रदेश में किया जा चुका है। अब एनआइवी पुणे की तर्ज पर यूपी में कोरोना जांच के लिए पहली बॉयो सेफ्टी लेवल (बीएसएल) फोर लैब स्थापित की जाएगी।

केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रो. सूर्यकांत कहते हैं कि कोरोना अस्पतालों में डेढ़ लाख बेड का इंतजाम करने के साथ-साथ सभी मरीजों को विशेषज्ञ इलाज दिलाने के लिए उन्हें ऑनलाइन जोड़ा गया। वेंटिलेटर और आक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था की गई। मृत्यु दर भी 1.4 फीसद ही है। अभी तक 6.04 लाख संक्रमितों में से 8,729 रोगियों की मौत हुई है।वर्तमान में 2017 कोरोना संक्रमित मरीज हैं।

संक्रमितों के इलाज को दी रामबाण औषधि : प्रो. सूर्यकांत कहते हैं कि संक्रमितों को आइवरमेक्टिन दवा देने का सबसे पहले फैसला यूपी ने किया। पहले रेमडेसिविर व हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा दी जा रही थी। इसके बेहतर परिणाम सामने आए और रिकवरी रेट 98 प्रतिशत से ज्यादा है।

मरीजों की निगरानी को बनाया मजबूत तंत्र : उत्तर प्रदेश में हर मरीज और उसके संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की मजबूत निगरानी की गई। कोविड कमांड सेंटर एंड कंट्रोल रूम हर जिले में बनाया गया। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह कहते हैं कि अभी तक 15.18 करोड़ लोगों की मेडिकल स्क्रीनिंग की जा चुकी है। होम आइसोलेशन यानी घर पर इलाज कराने वाले 3.68 लाख रोगियों में से 98.9 प्रतिशत मरीज ठीक हुए।

  • फैक्ट फाइल

  • 1 अप्रैल, 2020 को प्रदेश में कोरोना से पहली मौत
  • 11 सितंबर, 2020 को प्रदेश में सर्वाधिक 7,103 मरीज मिले
  • 17 सितंबर, 2020 को सबसे ज्यादा 68,235 एक्टिव केस थे।
  • 2 मंत्रियों ने कोरोना से जान गंवाई।
  • 81 हजार रोगी अभी तक लखनऊ में मिले, जो प्रदेश में सर्वाधिक हैं।
  • 1,318 मरीज हाथरस में मिले जो अब तक सबसे कम है।
  • 6 मौतें सबसे कम कासगंज में रिपोर्ट हुईं।
  • 1186 लोगों ने लखनऊ में कोरोना से दम तोड़ा।

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