अब निजी भूमि में खनन को मंजूरी पर दोगुना रायल्टी और पर्यावरण की NOC लेना होगा अनिवार्य
UP Cabinet Decision जमीनों पर खनन की इजाजत जिलाधिकारी इसलिए नहीं देते हैं क्योंकि इन जमीनों पर वर्षों से बालू-मौरंग जमा होने से कृषि नहीं होती है। इसलिए सरकार ने उत्तर प्रदेश उपखनिज परिहार नियमावली में 53वां संशोधन को मंजूरी दे दी है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। UP Cabinet Decision: उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसी निजी भूमि जो नदी तट के बाहर है और वह कृषि भूमि नहीं है उसमें भी खनन को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सोमवार को दोगुना रॉयल्टी लेकर भूस्वामियों को ही खनन की मंजूरी देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इसमें पर्यावरण की एनओसी लेना जरूरी होगा।
दरअसल, वर्तमान में ऐसी निजी भूमि जो न तो नदी तट पर है और न ही कृषि भूमि है उनमें खनन को लेकर कोई नीति नही है। वर्तमान में जो पॉलिसी है उसमें नदी तट पर यदि निजी भूमि है तो उसमें खनन के लिए टेंडर किया जाता है। नदी तट के बाहर कृषि भूमि में बाढ़ से आई बालू-मौरंग आदि हटाने के लिए सरकार तीन महीने का परमिट देती है। इनके अलावा जो निजी भूमि बचती है जो न तो नदी तट में है और न ही कृषि भूमि है, उसमें खनन को सरकार ने मंजूरी दे दी है।
इस तरह की जमीनों पर खनन की इजाजत जिलाधिकारी इसलिए नहीं देते हैं क्योंकि इन जमीनों पर वर्षों से बालू-मौरंग जमा होने से कृषि नहीं होती है। इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश उपखनिज परिहार नियमावली में 53वां संशोधन को मंजूरी दे दी है। दोगुना रायल्टी पर भू स्वामियों को खनन की इजाजत मिलेगी। इसमें पर्यावरण अनापत्ति लेनी होगी। इससे अवैध खनन पर अंकुश लग सकेगा। साथ ही बाजार में बालू-मौरंग की सप्लाई भी बढ़ेगी। सरकार का मानना है कि खनन की इजाजत मिलने से रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे।
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