World Hindi Day: शब्दावली और कार्यशालाओं से शुद्ध हिंदी का ज्ञान
World Hindi Day विद्यांत हिंदू पीजी कॉलेज में संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं डॉ. विजय कर्ण। डॉ. विजय कर्ण 2006 से वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग भारत सरकार में विशेषज्ञ सदस्य भी हैं। हैं। छह मंत्रालयों का शब्दकोष तैयार करने में इनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका
लखनऊ [दुर्गा शर्मा]। World Hindi Day: अक्सर हम शब्द सुनते और पढ़ते हैं-वृक्षारोपण। इस शब्द का प्रयोग करते समय हम भूल जाते हैं कि रोपण वृक्ष का नहीं, पौधे का होता है, इसलिए सही शब्द है-पौधारोपण। ऐसे ही पदनाम के साथ भी हम गलती करते हैं। पदनाम स्त्रीलिंग या पुल्लिंग नहीं होता। विद्यांत हिंदू पीजी कॉलेज में संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विजय कर्ण हिंदी के प्रति विशेष आग्रह के साथ विभिन्न माध्यमों से ऐसी तमाम जानकारियां लोगों तक पहुंचाते हैं। पदनाम के संबंध में वो समझाते हैं, चाहे महिला हो या पुरुष, हम प्राचार्य ही लिखेंगे।
डॉ. विजय कर्ण 2006 से वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार में विशेषज्ञ सदस्य भी हैं। छह मंत्रालयों का शब्दकोष तैयार करने में इनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका है। ये शब्दकोष शब्दावली आयोग की वेबसाइट पर भी है। करोड़ों शब्द साइट पर दिए गए हैं, जिनके हिंदी और अंग्रेजी दोनों पर्याय रहते हैं। साथ ही पिछले 30 वर्षों से आकाशवाणी और दूरदर्शन से जुड़कर हिंदी के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। 18 पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें छह संस्कृत और 12 हिंदी में हैं। इनके द्वारा लिखीं पुस्तकें दिल्ली परिक्षेत्र में पाठ्यक्रम में भी शामिल हैं। इनकी किताबों में बच्चों के लिए विशेष कविताएं भी होती हैं, जो खेल-खेल में परंपराओं का ज्ञान देने के साथ बच्चों को संस्कारों की शिक्षा भी देती हैं। डॉ. विजय कर्ण कहते हैं, हिंदी बोलने के लिए आग्रह करने से बेहतर है कि हम हिंदी में पढ़ने के लिए बेहतर सामग्री दे सकें। हिंदी की खूबसूरती है कि ये संदर्भ के हिसाब से अर्थ देती है। अंग्रेजी का एक शब्द हिंदी में कई संदर्भ लिए रहता है, यही हिंदी का वैशिष्ट्य भी है।
वो अपनी बात को उदाहरण के साथ समझाते हैं
अंग्रेजी का शब्द डायरेक्टर अगर किसी संस्थान से जुड़ता है तो उसका हिंदी में संदर्भ निदेशक से होता है। इसका आशय उस व्यक्ति से होता है, जो निदेश दे, दूरदर्शिता रखे। वहीं, शूटिंग से जुड़ा हो तो इसका अर्थ निर्देशक हो जाता है, जो निर्देश दे। डॉ. विजय कर्ण कार्यशालाओं के माध्यम से हिंदी के शुद्ध प्रयोग पर जोर देते हैं।
विदेश तक पहुंचा अवधी का संदेश
डॉ. विद्या विन्दु सिंह के माध्यम से विदेश तक अवधी का संदेश पहुंचा। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक आयोजनों और सम्मेलनों में हिंदी और अवधी को प्रतिष्ठित किया। लंदन में विश्व हिंदी सम्मेलन के साथ ही मॉरीशस, सूरीनाम, गयाना, त्रिनिदाद, मयामी, मलेशिया, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, सिंगापुर, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया आदि की साहित्यिक सांस्कृतिक यात्राओं में सक्रिय भागीदारी की। डॉ. विद्या विंदु सिंह ने सरल एवं सचित्र पुस्तक आइए व्याकरण सीखें के जरिए कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को व्याकरण का ज्ञान भी दिया।
उप्र हिंदी संस्थान में संयुक्त निदेशक पद से सेवानिवृत्त डॉ. विद्या विंदु सिंह देश-विदेश की संस्थाओं और विश्वविद्यालयों से भी सबद्ध हैं और कार्यशालाओं के जरिए हिंदी और अवधी के प्रचार-प्रसार में प्रयासरत हैं। डॉ. विद्या विंदु सिंह कहती हैं, उत्तर प्रदेश ने हिंदी साहित्य के बड़े नाम दिए हैं। इस नाते भी हमारा ये दायित्व है कि हम हिंदी की गरिमा को बनाएं रखें।
मिलेगा मित्र स्मृति अवधी सम्मान
अवधी भाषा, साहित्य और संस्कृति की दीर्घकालिक सेवा के लिए प्रतिवर्ष दिया जाने वाला प्रतिष्ठित लक्ष्मण प्रसाद मित्र स्मृति अवधी सम्मान इस वर्ष डा. विद्या विन्दु सिंह को दिया जाएगा। प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
क्या कहते हैं अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष ?
अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डॉ. राम बहादुर मिश्र ने बताया कि डॉ. विद्या विन्दु सिंह को यह सम्मान दो फरवरी को लखनऊ में आयोजित समारोह में प्रदान किया जाएगा। पांच हजार की सम्मान राशि, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, अंगवस्त्र आदि देकर उन्हें अलंकृत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब तक यह सम्मान प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित, विक्रम मणि त्रिपाठी (नेपाल) और जगदीश पीयूष को दिया जा चुका है। चयन समिति की बैठक में डॉ. राम बहादुर मिश्र, लक्ष्मण प्रसाद मित्र सेवा संस्थान के अध्यक्ष अजय साहू तथा संस्थान की संरक्षिका और मित्र जी की पुत्री मनोरमा साहू ने डॉ. विद्या विन्दु सिंह के नाम पर सहमति व्यक्त की।