पार्किंग में लावारिस कारों के पीछे ठेकेदारों का बड़ा खेल, किसी के पास नहीं जवाब...कहां से आईं कारें
unclaimed cars in LDA parkingहजरतगंज में भूमिगत पार्किंग में दर्जनों लावारिस गाड़ियां मिलने के बाद शुरुआती जांच में जो तथ्य सामने आ रहा है उसमें पूर्व ठेकेदार की भूमिका संदिग्ध मानी जा रहा है। माना जा रहा है कि गाड़ियों के यहां खड़ा करने में ठेकेदार का हाथ है।
लखनऊ, जेएनएन। एलडीए की भूमिगत पार्किंग में लावारिस महंगी कारों के जमावड़े के पीछे पूर्व ठेकेदार का खेल सामने आ रहा है। यहां पंजाब, हरियाणा के अलावा गैर जनपदों की कारें क्यों खड़ी की जा रही हैं ये एक बड़ा सवाल है। पूरा मामले सामने आने के बाद एलडीए इस संबंध में अलग से जांच कर के पुलिस को अपनी रिपोर्ट देगा ताकि ये पूरा रहस्य सामने आ सके। दूसरी ओर, हजरतगंज पुलिस ने भी इस प्रकरण में अपनी जांच शुरू कर दी है। जिसके आधार पर जल्द कार्रवाई होगी।
सरोजनी नायडू पार्क हजरतगंज में भूमिगत पार्किंग में दर्जनों लावारिस गाड़ियां मिलने के बाद शुरुआती जांच में जो तथ्य सामने आ रहा है, उसमें पूर्व ठेकेदार की भूमिका संदिग्ध मानी जा रहा है। माना जा रहा है कि इन गाड़ियों के यहां खड़ा करने में ठेकेदार का हाथ है। जिसमें एलडीए के कर्मचारियों की भी पूरी मिलीभगत है। पूर्व में ठेकेदार ने इस पार्किंग में कार बाजार भी संचालित किया था मगर तब कार बाजार में बिकने के लिए खड़ी की गई गाड़ियों का डेटा ठेकेदार अपनी डायरी में रखता था मगर इस बार कोई भी कागजात न मिलने से रहस्य और अधिक गहरा गया है।
'कई गाड़ियों के टोकन मौजूद नहीं हैं। इसकी जांच के लिए पु़लिस को सूची उपलब्ध करवा दी गई है। कुछ दूसरे राज्यों के नंबर की भी गाड़ियां हैं। कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी। पूर्व ठेकेदार की भूमिका भी जांची जाएगी। अभी तक जो चीजें सामने आई हैं उससे लग रहा है कि जब इस पार्किंग में ठेकेदार काबिज था तब से ही ये गाड़ियां यहां खड़ी हैं। उसी का ये खेल है। एलडीए अपनी जांच रिपोर्ट पुलिस को देगा।' -ऋतु सुहास, संयुक्त सचिव, लविप्रा
गाड़ियों पर सवाल
- पार्किंग में गाड़ियां कम से कम एक महीने से खड़ी होने की बात कर्मचारी स्वीकार रहे हैं मगर इनकी जानकारी अफसरों को देर से क्यों दी गई।
- समय समय पर अफसरों ने पार्किंग में खड़े वाहनों की जानकारी क्यों नहीं ली। पुलिस ने भी यहां के वाहनों की जांच नहीं की, ये भी बड़ा सवाल है।
- कर्मचारियों के पास जिन गाड़ियों के टोकन भी नहीं थे, उनकी जानकारी वे लगातार छिपाते रहे हैं, इसमें किसका प्रभाव काम कर रहा था।