रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का फैसला, '70 एकड़ को ध्यान में रखकर बनाया जाए दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मंदिर'
अयोध्या के दिगंबर अखाड़ा में बैठक कर संतों ने रामजन्मभूमि पर मंदिर के लिए तीन दशक पूर्व बने मंदिर के मॉडल पर खड़े किये सवाल।
अयोध्या, जेएनएन। एक ओर जब श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के संयोजन में रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, तब संतों ने राममंदिर के मॉडल पर सवाल उठाया है। दिगंबर अखाड़ा में संतों ने बैठक कर मंदिर के उस मॉडल पर एतराज जताया, जिसके अनुरूप मंदिर निर्माण की तैयारी है। संतों का कहना है कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जिस मॉडल के अनुरूप मंदिर का निर्माण कराने जा रहा है, तीन दशक पूर्व वह 2.77 एकड़ भूमि को ध्यान में रखकर बनाया गया था।
सुप्रीमकोर्ट के आदेश से मंदिर निर्माण के लिए 70 एकड़ भूमि सुलभ हुई है, तो निर्माण भी विस्तृत भू क्षेत्र को ध्यान में रखकर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मंदिर के रूप में होना चाहिए। बैठक की अध्यक्षता दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास ने की। उन्होंने कहा, पांच सौ वर्षों बाद रामजन्मभूमि मुक्त हुई है, तो ऐसा मंदिर बने जैसा दुनिया में न हो। उनके इस नजरिए को और स्पष्ट करते हुए हुए रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजयशरण ने कहा, तीन दशक पूर्व राममंदिर का जो नक्शा बना था, वह न्यायसंगत नहीं रह गया है और आज हमें मंदिर निर्माण का मौका मिला है, तो उसे भगवान राम की गरिमा के अनुरूप अद्भुत-अद्वितीय होना चाहिए।
दंतधावनकुंड पीठाधीश्वर महंत नारायणाचारी ने कहा, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भगवान राम और उनकी जन्मभूमि का दुनिया में क्या स्थान है और यदि इस महिमा के अनुरूप मंदिर निर्माण नहीं हुआ, तो हमें पीढिय़ा नहीं माफ करेंगी। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य ने कहा, सुदीर्घ संघर्ष और सतत बलिदान का सुफल तब है, राममंदिर का निर्माण दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मंदिर के रूप में हो। हमारी मुहिम को किसी और चश्मे से देखने की जरूरत नहीं है, हम रामभक्त हैं। उदासीन ऋषि आश्रम के महंत डॉ. भरतदास ने कहा, मंदिर का मौजूदा मानचित्र तीन दशक पूर्व की परिस्थितियों में भले उचित रहा हो, पर आज के दौर में यह निष्प्रयोज्य हो गया है और ऐसा मंदिर बनना चाहिए, जिसे देखने दुनिया भर से लोग आएं।
बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेशदास ने कहा, तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को मंदिर निर्माण में संतों से परामर्श करना चाहिए, पर ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा है। दशरथमहल पीठाधीश्वर ङ्क्षबदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य के कृपापात्र संत रामभूषणदास कृपालु ने कहा, रामलला के भव्यतम मंदिर की पुकार पूरे देश की है और इसे अनसुना करना महापाप है। बैठक में निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास, सद्गुरुसदन के महंत सियाकिशोरीशरण, वशिष्ठभवन के महंत डॉ. राघवेशदास, राममजिनदास रामायणी, महंत सत्येंद्रदास वेदांती, वरुणदास शास्त्री, देवेशाचार्य आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
श्वेत संगमरमर का भव्यतम मंदिर चाहते थे सिंंहल : वेदांती
एक हजार 111 फीट ऊंचा मंदिर निर्माण कराने के लिए राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को पत्र भेज चुके पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती ने कहा, तीन दशक पूर्व निर्मित राममंदिर का मॉडल तब की परिस्थितियों में तय किया गया था। बकौल वेदांती मंदिर आंदोलन के मुख्य शिल्पी अशोक ङ्क्षसहल ने तत्कालीन परिस्थितियों में बलुए पत्थर का मंदिर मजबूरी में स्वीकार किया था, पर उनकी हार्दिक इच्छा श्वेत संगमरमर के भव्यतम मंदिर की थी।
छह सूत्री प्रस्ताव पारित
बैठक में छह सूत्री प्रस्ताव पारित कर इसकी प्रति समुचित कार्यवाही की अपेक्षा के साथ रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास सहित संबंधित पक्षों को सौंपने का निर्णय किया गया। प्रस्ताव में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मंदिर निर्मित कराने, मंदिर की 20 फीट ऊंची बाउंड्रीवाल बनाने और संतों से परामर्श के साथ मंदिर निर्माण की मांग शामिल है।
ट्रस्ट की अगली बैठक में किया जाएगा विचार
रामजन्मभूमि पर भव्यतम मंदिर निर्माण की मांग पर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास ने कहा, संतों के सुझाव और मांग पर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की आगामी बैठक में विचार किया जाएगा।
तो मंदिर निर्माण में लगेगा 25 वर्ष
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि यदि दो साल में मंदिर चाहते हैं, तो तीन दशक पूर्व बने रामजन्मभूमि न्यास के मॉडल को स्वीकार करना होगा। यदि नये मॉडल को स्वीकार किया गया तो मंदिर निर्माण में 25 वर्ष लगेंगे।