Fight against Coronavirus : कोरोना से जंग में वीरता से चिकित्सक धर्म निभा रहे डॉ. धर्मवीर
Fight against Coronavirus संजय गांधी पीजीआइ के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. धर्मवीर सिंह कोरोना वायरस से सीधे दो-दो हाथ करने में जुटे।
लखनऊ [कुमार संजय]। Fight against Coronavirus : आज के हालात में हम एक अदृश्य दुश्मन के डर से किसी चीज को छूने में खौफ खा रहे हैं, मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हमारे लिए इससे सीधे दो-दो हाथ करने में जुटे हैं। कोरोना से मानवता की रक्षा के लिए वीरता से चिकित्सक धर्म निभाने में जुटे संजय गांधी पीजीआइ के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. धर्मवीर सिंह भी इनमें से एक हैं।
उन्हें घर छोड़े कई दिन हो चुके हैं। इस बीच उनकी व्यस्तता लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना मरीजों की जांच में लगे डॉ. धर्मवीर बायोसेफ्टी की विशेष जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं, जिससे कि कहीं से वायरस लीक होकर दूसरों को बीमार न कर दे। महामारी से पहले तक वह जपानी इंसेफेलाइटस पर काम कर रहे थे, लेकिन देश के सामने कोरोना का संकट खड़ा हुआ तो वह खुद ही इसकी जांच के लिए आगे आ गए। जांच शुरू हुई तो काम कम था, लेकिन अब धीरे-धीरे नमूनों की संख्या बढ़ रही है। इससे उन्हें 24 घंटे यहीं रहना पड़ता है। जब थक जाते हैं तो एक-आध घंटा आराम करने के लिए गेस्ट हाउस चले जाते हैं। इस बीच वह मौका पाकर वीडियो काल से अपने एक साल के बच्चे का चेहरा देख लेते हैं। इसी के जरिए पत्नी से हालचाल हो जाती है।
जरा सी चूक पर खतरनाक संक्रमण
विशेषज्ञों का कहना है कि जांच के दौरान सावधानी बरतनी पड़ती है, क्योंकि वायरस को सीधे हैंडल करते हैं। नाक या गले से जो खुरचन ली जाती है उससे आरएनए को अलग किया जाता है। उस आरएनए की संख्या पीसीआर तकनीक से बढ़ाकर उसमें कोरोना का स्ट्रेन देखते हैं। इस दौरान जरा सी चूक संक्रमण के घेरे में ले सकती है।
काम आ रहा स्वाइन फ्लू जांच का अनुभव
इन दिनों स्वाइन फ्लू की जांच का अनुभव उनके लिए काफी काम आ रहा है। उसमें भी काफी रिस्क था। प्रो. उज्ज्वला घोषाल के निर्देशन में सीनियर लैब टेक्नोलॉजिस्ट वीके मिश्र के साथ वह कोरोना से जंग में जी जान से लगे हैं। दूसरे संस्थान में जांच में लगे लोगों को सुरक्षा किट पहनने के साथ ही जांच का तरीका बता रहे हैं।
ठुकराई थी विदेश की पोस्ट डॉक्ट्रल फेलोशिप
पीजीआइ में पीएचडी के दौरान स्वाइन फ्लू पर उनके शानदार काम के चलते उन्हें विदेश से मिली पोस्ट डॉक्ट्रल फेलोशिप (पीडीएफ) ऑफर हुई। देशभक्ति के जज्बे से ओतप्रोत डॉ. धर्मवीर ने देशसेवा के लिए इसे ठुकरा दिया। इसकी जगह उन्होंने पीजीआइ के माइक्राबायोलॉजी विभाग में ही पीडीएफ ज्वॉइन कर लिया।