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यूपी बोर्ड परीक्षा में Students के लिए सिर दर्द बना ध्वनि प्रदूषण, 112 में आ रही शिकायतों में लखनऊ अव्वल

लखनऊ में बढ़ रहा ध्वनि प्रदूषण बोर्ड परीक्षा में बना चिंता का सबब 112 पर आ रही हैं शिकायतें।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 10:13 AM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 10:13 AM (IST)
यूपी बोर्ड परीक्षा में Students के लिए सिर दर्द बना ध्वनि प्रदूषण, 112 में आ रही शिकायतों में लखनऊ अव्वल
यूपी बोर्ड परीक्षा में Students के लिए सिर दर्द बना ध्वनि प्रदूषण, 112 में आ रही शिकायतों में लखनऊ अव्वल

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। बोर्ड परीक्षा के मद्देनजर पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने यूपी 112 पर ध्वनि प्रदूषण की शिकायत दर्ज कराने की व्यवस्था बनाई। 15 फरवरी से शुरू इस व्यवस्था में शोर के सताए सर्वाधिक पीडि़त राजधानी के निकले। शहर के 106 लोगों ने इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। सिर्फ ये शिकायतें ही नहीं, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के आंकड़े भी बता रहे हैं कि शहर में गूंजते कानफाड़ू शोर से लोग परेशान हैं। हद तो यह कि शांत इलाकों में भी इसका कोई कोई ओर छोर नहीं रहा। दिन हो या रात शोर शहर में हर ओर गूंज रहा है। परीक्षार्थियों की एकाग्रता तार-तार करता यह शोर लोगों को उच्च रक्तचाप, तनाव, चिड़चिड़ापन, एसीडिटी, सिरदर्द, माइग्रेन जैसी साइकोसोमेटिक बीमारियां दे रहा है। 

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कभी आदतन, कभी दूसरों को परेशान करने तो कभी रुतबा दिखाने के लिए क्या आप भी प्रेशर हार्न का बेजा इस्तेमाल करते हैं? अगर हां तो संभल जाएं, क्योंकि इससे दूसरों के साथ आप खुद को भी बीमार कर रहे हैं। अन्य गतिविधियां इसमें आग में घी का काम कर रही हैं। इसमें लाउडस्पीकर और डीजे का इस्तेमाल के साथ जेनरेटर का शोर आदि शामिल है। 

चिकित्सकों की चिंता शोर से बढ़ता तनाव है। चिकित्सक इसे ट्रैफिक स्ट्रेस का नाम देते हैं। खास बात यह है कि बच्चे, बड़े, बुजुर्ग या महिलाएं, इस स्ट्रेस से कोई भी नहीं बचा है। अनुमान के मुताबिक एक व्यक्ति नौ से 10 घंटे भीड़भाड़ में रहता है। ऐसे में शोर उसके जीवन को किस हद तक प्रभावित कर रहा है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। लोहिया इंस्टीट्यूट के फिजिशियन डॉ. विक्रम सिंह कहते हैं कि बढ़ता शोर सेहत को निश्चित रूप से नुकसान पहुंचा रहा है। लोगों की सुनने की क्षमता प्रभावित हो रही है। साथ ही उच्च रक्तचाप, तनाव व चिड़चिड़ेपन के अलावा एसीडिटी, सिरदर्द, माइग्रेन जैसी साइकोसोमेटिक डिजीज बढ़ रही हैं। 

विद्यार्थियों की एकाग्रता हो रही कम

शोर के चलते विद्यार्थियों की एकाग्रता में भी जबर्दस्त कमी आ रही है। केजीएमयू के मनोरोग विभाग के डॉ. आदर्श त्रिपाठी कहते हैं कि शोर विद्यार्थियों का ध्यान भटकाने का काम करता है। घर के अंदर होने वाली आवाज को तो कम किया जा सकता है, लेकिन बाहर होने वाले शोर पर रोकथाम मुश्किल है। इस शोर से विद्यार्थियों की एकाग्रता प्रभावित हो रही है। डॉ. त्रिपाठी कहते हैं कि केवल विद्यार्थी ही नहीं सभी को मानसिक शांति की जरूरत होती है। ऐसे में शोर के चलते सबमें स्ट्रेस लेवेल बढ़ रहा है, जिससे सिरदर्द, हाइपरटेंशन के साथ ही लोगों की प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो रही है। 

रात में भी कम नहीं शोर    

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) की मॉनिटङ्क्षरग रिपोर्ट दर्शाती है कि दिन तो दिन, रात में भी तकरीबन हर जगह शोर मानक से अधिक है। इंदिरा नगर, चारबाग, आलमबाग व चौक में तो रात में भी शोर की स्थिति चिंताजनक दर्ज की गई है। गोमती नगर, अलीगंज, विकास नगर इलाकों में दिन-रात शोर का स्तर मानकों से अधिक पाया गया है। यही नहीं, शांत श्रेणी में आने वाले हाईकोर्ट, अस्पताल व स्कूल कॉलेज, जिनके चारों तरफ एक्ट के मुताबिक सौ मीटर के दायरे में शोर पर प्रतिबंध है, वहां भी शोर का स्तर खतरे की सीमा को लांघ चुका है। मानकों के अनुसार दिन में शोर की सीमा 55 और रात्रि में 45 डेसिबल है लेकिन शहर के सभी प्रमुख इलाके जैसे गोमती नगर, इंदिरा नगर, अलीगंज, हजरतगंज, आलमबाग, चौक, अमीनाबाद, चारबाग व विकास नगर में शोर सीमा के मुकाबले कहीं अधिक है। इसके अलावा शांत क्षेत्र की परिधि में आने वाले अस्पताल, न्यायालय व स्कूलों के आसपास भी शोर हदें लांघ चुका है। 

विफल रहे सभी प्रयास

  • अदालती आदेश का अनुपालन हुआ न ही जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सौंपी गई जिम्मेदारी से बात बनी
  •  रात में 10 बजे के बाद शोर की गतिविधियों पर रोक है, लेकिन इस आदेश को ठेंगा दिखा दिया जाता है। 
  • प्रेशर हार्न पर प्रतिबंध होने के बावजूद सरकारी वाहनों में सबसे ज्यादा प्रेशर हार्न का इस्तेमाल किया जाता है। 

बोर्ड परीक्षा के वक्त पुलिस का यह कदम लोगों को भाया

पूर्व के वर्षों में पाया गया है कि फरवरी से मार्च तक होने वाली परीक्षा के दौरान आपात सेवा 112 पर ध्वनि प्रदूषण की शिकायतें बढ़ जाती हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए 112 ने यह अभियान शुरू किया है। इस अभियान के साथ सोशल मीडिया पर भी लोग काफी संख्या में जुड़ रहे हैं। ट्विटर, फेसबुक सहित दूसरे माध्यमों से भी लोग बड़ी संख्या में अपनी शिकायतें बता रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग सिर्फ शिकायत ही नहीं कर रहे हैं बल्कि पुलिस के इस कदम को सराह भी रहे हैं। 

  • 112 के अभियान के 40 घंटे 
  • 106 लखनऊ से शिकायतें
  • 78 गाजियाबाद से शिकायतें
  • 54 कानपुर नगर से शिकायतें
  • 52 शिकायतें प्रयागराज से
  • 38 शिकायतें आगरा से आईं
  • 885 शिकायतें पूरे प्रदेश से

200 शिकायत हर रोज है अभियान से पूर्व का औसत

अपर पुलिस महानिदेशक असीम अरुण ने कहा कि आने वाले दिनों में आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा कि कहां से बार-बार शिकायतें आ रही हैं। इन स्थानों पर ध्वनि प्रदूषण करने वालों को चिह्नित करके उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी, जिसमें प्रतिष्ठानों के लाइसेंस/परमिट का निरस्तीकरण भी शामिल होगा। 


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