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अनदेखा लखनऊ : ढाई एकड़ में फैला आस्था का अक्षय वट lucknow news

बीकेटी में हरिवंश बाबा अक्षय वट आश्रम ऐसा मनोरम स्थल है जो आपको प्रकृति की गोद में होने का अहसास दिलाता है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 02:50 PM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2019 10:13 PM (IST)
अनदेखा लखनऊ : ढाई एकड़ में फैला आस्था का अक्षय वट lucknow news
अनदेखा लखनऊ : ढाई एकड़ में फैला आस्था का अक्षय वट lucknow news

लखनऊ, (पवन तिवारी)। आस्था की जड़ें गहरीं हैं। सिर्फ जड़ें ही नहीं, शाखाएं भी असीमित हैं। शहर के कोलाहल से दूर। एक ऐसा अद्भुत स्थल, जहां आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा मेल है। हरिवंश बाबा अक्षय वट आश्रम। ढाई एकड़ में फैले इस वट वृक्ष की परिक्रमा करेंगे तो एकबारगी आभास होगा कि आप अनगिनत स्तंभों से बने किसी किले में हैं। पैदल चलेंगे तो ओर-छोर नहीं मिलेगा। एक वृक्ष इतना विशाल? यकीन नहीं होगा। भूमि को स्पर्श करती हुईं इस पवित्र बरगद की लटें अब जड़ पकड़ चुकी हैं। असंख्य शाखाएं चारों ओर कुछ यूं फैलीं हैं, जैसे कि मूल वृक्ष के लिए सुरक्षा घेरा बना लिया हो।

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यहां सुरक्षा घेरे के बीच बने एक मंदिर में आपको हरिवंश बाबा की प्रतिमा के साथ रामजानकी और भगवती दुर्गा के दर्शन मिलेंगे। मंदिर के दाईं ओर मां सरस्वती का विग्रह है। बाईं ओर शिवजी, हनुमानजी की दिव्य प्रतिमाएं और 11 कुंडीय यज्ञशाला है। शांत और एकांत। मानो प्रकृति ने अपना आंचल फैला रखा हो। दर्शन करें और जब तक मन न भरे, एकांत का आनंद उठाएं। वैसे यहां जाने कौन सा चुंबकीय आकर्षण है कि जल्दी उठने का जी नहीं करेगा।

सीतापुर रोड होते हुए पहले बीकेटी पहुंचें। बीकेटी से बाईं ओर चंद्रिका देवी मंदिर मार्ग पर मुड़ जाएं। चंद्रिका माता मंदिर के पास से सैदापुर-माल जाने वाली सड़क पकड़ लें। ग्राम पंचायत मंझी निकरोजपुर के पास बाईं ओर एक लिंक मार्ग मिलेगा। इस लिंक मार्ग पर करीब एक किलोमीटर चलने पर आपको विशाल अक्षय वट के दर्शन होंगे। निजी वाहन नहीं है तो ऑटो या एप से बुक होने वाली टैक्सी-ऑटो बुक कर लें। शेयरिंग ऑटो भी चलते हैं, लेकिन असुविधा होगी, क्योंकि छोटी-छोटी दूरियों पर इन्हें बदलना पड़ेगा।

250 साल पुराना

जिज्ञासा होगी कि अक्षय वट की उम्र क्या है? लगभग 250 साल। कौन हैं हरिवंश बाबा, जिनके नाम से यह अक्षय वट जाना जाता है? पुजारी कोमलानंद बताते हैं कि पड़ोस के मंझी गांव में एक किशोर थे। बाल्यावस्था में सिर से माता-पिता का साया उठ गया तो यहां तपस्या में लीन हो गए। तब यहां वन्य जीवों की खोज में शिकारी आते रहते। एक दिन किसी शिकारी ने तीर चलाया, जो धोखे से तपस्वी हरिवंश को जा लगा। तप स्थली पर ही उनकी समाधि बना दी गई। समाधि स्थल के पास यह अक्षय वट प्रस्फुटित हुआ जो आज विशाल आकार में है।

और ये है ग्रीन टनल यानी हरी-भरी सुरंग

आप अक्षयवट घूमने का प्लान बनाएंगे तो एक साथ तीन स्थलों की सैर हो जाएगी। सिद्ध और प्राचीन मां चंद्रिका देवी का दरबार भी मार्ग में ही पड़ेगा। एक और अनुभव होगा-जो शायद आप वहां जाकर भी नहीं कर सके होंगे। ग्रीन टनल यानी हरी भरी सुरंग। बीकेटी से चंद्रिका देवी मार्ग पर प्रवेश करते ही करीब छह किमी आपको यह ग्रीन टनल मिलेगी। सड़क के दोनों ओर झूमते पेड़ों ने कमाल की जुगलबंदी की है। गाड़ी किनारे लगा लें और लंबी दृष्टि दौड़ाएं। इस हरित गुफा को पूरी शिद्दत से महसूस करें। कुदरत ने कैसा वास्तु रचा है? यह खुद अपनी आंखों से देखें।


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