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KGMU: अब अल्‍ट्रासाउंड गाइडेड तकनीक से होगा हड्डी के दर्द का सटीक इलाज Lucknow News

केजीएमयू के डीपीएमआर विभाग में शुरू हो गई सुविधा। पेन मैनेजमेंट में शुरू होगी नई तकनीक।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 01:13 PM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 07:19 AM (IST)
KGMU: अब अल्‍ट्रासाउंड गाइडेड तकनीक से होगा हड्डी के दर्द का सटीक इलाज Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। रीढ़, कलाई, कंधा और कूल्हे के दर्द पर अब सटीक वार होगा। डॉक्टर अंदाजे के बजाए अल्ट्रासाउंड गाइडेड तकनीक से नर्व की पड़ताल करेंगे। साथ ही उसी प्वाइंट पर इंजेक्शन की डोज देकर नर्व बलॉक कर देंगे।

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केजीएमयू के फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेबिलिटेशन (पीएमआर) विभाग में हड्डी के दर्द का सटीक इलाज मुमकिन हो गया है। यहां पेन मैनेजमेंट के पुराने तरीके को छोड़कर आधुनिक सुविधा शुरू की गई है। अब अल्ट्रासाउंड गाइडेड तकनीक से नर्व बलॉक की जा रही है। पहले मरीज के बताए स्थान पर डॉक्टर दर्द को भांपकर इंजेक्शन लगाता था। वहीं जटिल मामले में एक्स-रे रिपोर्ट के आधार पर इंजेक्शन से नर्व ब्लॉक की जाती थी। मगर, अब अल्ट्रासाउंड गाइडेड से मरीज की अंदरूनी नर्व को मॉनीटर पर आसानी से देखा जा सकता है। इसमें नर्व बलॉकिंग प्रक्रिया बिल्कुल सटीक हो सकेगी। मरीजों को इस विधि से इलाज विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल गुप्ता, डॉ. गणोश यादव, डॉ. राहुल और डॉ. सुधीर मिश्र ने मुहैया कराना शुरू कर दिया है। 

दर्द निवारक दवाओं से छुटकारा : इंजेक्शन से नर्व बलॉक करने पर मरीज को दर्द निवारक दवाओं से छुटकारा मिलेगा। उन्हें हर रोज दवाएं नहीं लेनी पड़ती है। कारण, इंजेक्शन का असर छह माह तक रहता है। 

ऑस्टियोपोरोसिस में भी राहत : 40 वर्ष की आयु में महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस का शिकार हो रही हैं। वहीं शुरुआत में इस बीमारी को नजरंदाज करने से उनके रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो रहा है। वहीं यदि मरीज पहले से संजीदा हो जाए तो फ्रैक्चर से बचा जा सकता है। साथ ही दर्द से भी छुटकारा मिल जाएगा। ऑस्टियोपोरोसिस के मरीज में रीढ़ की हड्डी एल1, एल2, एल3 व एल5 वटिब्रा में फ्रैक्चर हो रहा है।

न्यूरो की बीमारी में भी पेट सीटी स्कैन कारगर

पेट सीटी स्कैन जांच से सिर्फ कैंसर ही नहीं अन्य बीमारियों की जांच भी मुमकिन है। इससे न्यूरो संबंधी दिक्कतों को भी आसानी से पता लगाया जा सकता है। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में शुक्रवार को पेट सीटी स्कैन पर प्रशिक्षण कार्यशाला हुई। इस दौरान मुंबई के डॉ. अंशू रजनीश वर्मा ने कहा कि पेट सीटी स्कैन से डिमेंशिया, अल्जाइमर और पार्किंसन बीमारियों की भी जांच संभव है। इसके अलावा अज्ञात बुखार के कारण क्या हैं, यह भी पता लगाना मुमकिन हैं। इस दौरान विभागाध्यक्ष डॉ. सत्यवती, डॉ. शाश्वत और डॉ. धनंजय समेत आदि मौजूद रहे।


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