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यमुना एक्सप्रेस-वे बस हादसा : परिवहन विभाग ने आंचल में छिपाए 29 मौतों के गुनहगार

यमुना एक्सप्रेस-वे बस हादसे में अब चश्मदीद यात्री के बयान ने संदेह खड़ा कर दिया है कि आखिर विभाग क्या छिपाना चाह रहा है और किसे बचाने की कोशिश है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 08:43 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 08:55 AM (IST)
यमुना एक्सप्रेस-वे बस हादसा : परिवहन विभाग ने आंचल में छिपाए 29 मौतों के गुनहगार

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए दर्दनाक बस हादसे में 29 यात्रियों की मौत हो गई। उच्चस्तरीय समिति बनाकर जांच करा दी गई और मृत चालक की झपकी को कारण बताकर फाइल बंद कर दी। जांच रिपोर्ट पर सवाल तो शुरुआत से ही उठ रहे थे, लेकिन परिवहन मंत्री से लेकर आला अधिकारियों के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं था। अब चश्मदीद यात्री के बयान ने संदेह खड़ा कर दिया है कि आखिर विभाग क्या छिपाना चाह रहा है और किसे बचाने की कोशिश है।

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अवध डिपो की जनरथ बस लखनऊ से दिल्ली जाते वक्त आठ जुलाई को यमुना एक्सप्रेसवे पर आगरा में दुर्घटना का शिकार हो गई थी। डिवाइडर से टकराकर पलटी बस नाले में जा गिरी, जिसमें 29 यात्रियों की मौत हो गई। सरकार ने घटना के लिए जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति बनाई, जिसमें परिवहन आयुक्त धीरज साहू, मंडलायुक्त आगरा अनिल कुमार और आइजी ए. सतीश गणेश थे। समिति ने जांच रिपोर्ट में चालक की झपकी को हादसे का कारण बताया। पत्रकारों को जब परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने अधिकृत रूप से हादसे की वजह बताई तो कई प्रतिप्रश्न हुए। तब कुछ भी आत्मविश्वास से कहने के बजाए उन्होंने दूसरे कारणों की जांच कराने की भी बात कही, लेकिन वास्तव में उसके बाद कोई जांच कराई ही नहीं गई। हां, विभाग इस कवायद में जुट गया कि अब ऐसा हादसा न हो।

चश्मदीद यात्री के बयान ने उठाए जांच रिपोर्ट पर सवाल

इसी बीच, सोमवार को मीडिया के सामने आए उस बस के यात्री गौरव सिंह ने दावा किया कि वह चालक के पीछे वाली सीट पर बैठे थे। चालक-परिचालक आपस में बात कर रहे थे, इतने में ही हादसा हो गया। झपकी की बात झूठी है। उन्होंने बस में स्पीड गवर्नर न लगे होने का भी दावा किया। इसके साथ ही जांच रिपोर्ट फिर सवालों के घेरे में आ गई है। आशंका जताई जा रही है कि बस में शायद कोई तकनीकी खामी हो, जिसे छिपाने के लिए अन्य बिंदुओं पर जांच की हिम्मत विभाग नहीं जुटा पा रहा है।

दर्ज बयानों पर भी संदेह

चश्मदीद ने बयान दिया है कि चालक उस वक्त परिचालक से बात कर रहे थे। यदि जांच समिति ने परिचालक और अन्य यात्रियों के वास्तविक बयान दर्ज किए होंगे तो उसमें भी यह तथ्य आना चाहिए। आगरा के मंडलायुक्त अनिल कुमार ने बताया कि हमने शासन को गोपनीय रिपोर्ट सौंपी थी, इसलिए जांच रिपोर्ट के बारे में कुछ नहीं कहना है। उप्र राज्य सड़़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक राज शेखर कहना है कि जांच उच्चस्तरीय समिति ने की है। हम तो उन प्रयासों की दिशा में बढ़ रहे हैं कि ऐसे हादसे अब न हों। यदि यात्री ने ऐसा बयान दिया है तो हम अपने स्तर से इसे देखकर सावधानी बरतेंगे।

अब हादसा होते ही देनी होगी 15 बिंदुओं पर रिपोर्ट

हादसा होने पर अब कोई भी जरूरी जानकारी छिपी न रह जाए, इसके लिए उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय ने 'स्टैंडर्ड इनफॉर्मेशन फॉर्मेट' बनाया है। प्रबंध निदेशक राज शेखर द्वारा बनाए गए इस फॉर्मेट में 15 बिंदु शामिल किए गए हैं। इसमें क्षेत्र, जिला, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक का नाम-मोबाइल नंबर, घटनास्थल, पुलिस थाने का नाम, फिटनेस डिटेल सहित बस नंबर, मॉडल, चालक-परिचालक का नाम, यात्रियों का विवरण, घटना के मौके पर मिले तथ्य आदि हैं। प्रबंध निदेशक का कहना है कि इस फॉर्मेट पर पूरी जानकारी मिलने पर उस वक्त जरूरी कदम उठाए जा सकेंगे, बेहतर जांच हो पाएगी और विभाग अपना डाटा बैंक भी तैयार करेगा।


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