सांसद नीरज शेखर ने राज्यसभा और सपा से दिया इस्तीफा, BJP में जाने की चर्चा
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री नीरज शेखर ने इस्तीफा दे दिया है। बताया जाता है कि बलिया लोकसभा सीट से टिकट नहीं दिए जाने नीरज सपा से नाराज हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में मिली करारी मात से समाजवादी पार्टी (सपा) अभी उबर भी नहीं पाई थी कि सांसद नीरज शेखर ने राज्यसभा और पार्टी से इस्तीफा देकर उसे बड़ा झटका दे दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच हालिया लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक खटास पैदा हो गई थी।
नीरज के इस्तीफे पर सपा नेता चुप हैं। उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को नीरज शेखर का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया। सदन में उनका कार्यकाल नवंबर 2020 तक था।
दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान नीरज शेखर बलिया संसदीय सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने टिकट की मांग की थी। पार्टी नेतृत्व ने उन्हें आश्वस्त भी किया था, लेकिन आखिरी वक्त तक भरोसा देकर अचानक उनकी जगह सदानंद पांडेय को बलिया से उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया गया। इसके बाद से उनकी नाराजगी बढ़ती ही गई।
आजमगढ़ से जीतकर आए पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से उनकी एक भी मुलाकात नहीं हुई। संसद परिसर में दोनों के बीच दुआ सलाम भी बंद हो गई थी। दोनों नेताओं के बीच नाराजगी पार्टी के अन्य नेताओं में चर्चा का विषय तो थी, लेकिन उनके पार्टी छोड़ देने पर सभी अचंभित हैं।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चंद्रशेखर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिबंश की पुस्तक 'चंद्रशेखर : द लास्ट आइकन ऑफ आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स' का विमोचन करेंगे। उससे पहले ही नीरज शेखर भाजपा में शामिल हो जाएंगे।
मालूम हो कि चंद्रशेखर के निधन के बाद नीरज शेखर ने पहली बार बलिया से ही चुनाव लड़ा था। 2007 में बलिया संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में भारी मतों के अंतर से जीतकर नीरज शेखर संसद पहुंचे थे। चंद्रशेखर की विरासत संभाल रहे नीरज ने अपने राजनीतिक तेवरों के चलते ही 2009 के आम चुनाव में भी बाजी मारी और 2014 तक संसद में रहे।
2014 की मोदी लहर में वह भाजपा के भरत सिंह से चुनाव हार गए थे। इसके बाद सपा ने उन्हें 2014 में राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचा दिया था। तथ्य यह है कि बलिया संसदीय सीट से लगातार चंद्रशेखर चुनाव जीतते रहे। वह कभी सपा के सदस्य नहीं थे, लेकिन तत्कालीन सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव उनके खिलाफ कभी अपना प्रत्याशी नहीं उतारते थे। पिछले दिनों राज्यसभा में प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने भी नीरज शेखर के किसी व्यवहार पर बिना शर्त यह कहकर माफी मांगी थी कि घटना के दिन वह (रामगोपाल) सदन में उपस्थित नहीं थे।