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हाई कोर्ट ने नहीं मनाया जस्टिस रंगनाथ पांडेय का विदाई समारोह, नोटिस लिया गया वापस

जस्टिस रंगनाथ पांडेय को गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की ओर से विदाई नहीं दी गई। यह आयोजन फिलहाल टाल दिया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 11:30 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 08:48 AM (IST)
हाई कोर्ट ने नहीं मनाया जस्टिस रंगनाथ पांडेय का विदाई समारोह, नोटिस लिया गया वापस
हाई कोर्ट ने नहीं मनाया जस्टिस रंगनाथ पांडेय का विदाई समारोह, नोटिस लिया गया वापस

लखनऊ, जेएनएन। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाने वाले जस्टिस रंगनाथ पांडेय को गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की ओर से विदाई नहीं दी गई। यह आयोजन फिलहाल टाल दिया गया है। हालांकि अवध बार एसोसिएशन ने उन्हें बार में बुलाकर विदाई समारोह किया।

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हाई कोर्ट के सीनियर रजिस्ट्रार मानवेंद्र सिंह द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया कि कुछ अनपेक्षित कारणों के चलते जस्टिस रंगनाथ पांडेय को विदाई देने के लिए गत एक जुलाई को जारी की गई नोटिस को वापस लिया जा रहा है। इससे पहले एक जुलाई को सीनियर रजिस्ट्रार ने नोटिस जारी कर अवध बार एसोसिएशन, एडवोकेट जनरल तथा एडीशनल सॉलिसिटर जनरल को सूचित किया था कि जस्टिस रंगनाथ पांडेय चार जुलाई को सेवानिवृत्त हो रहें हैं। इस अवसर पर उन्हें चीफ जस्टिस के अदालत कक्ष में विदाई संदर्भ (फुल कोर्ट रेफरेंस) दिया जायेगा।

दरअसल रिटायर होने वाले जज को इस प्रकार का विदाई संदर्भ देने की हाई कोर्ट में पुरानी परम्परा रही है, लेकिन यह आयोजन फिलहाल टाल दिया गया है। दूसरी ओर अवध बार एसोसिएशन ने जस्टिस रंगनाथ पांडेय को बार में बुलाकर उनका स्वागत किया और उन्हें फूलमाला पहनाकर विदाई दी। इस अवसर पर बार के अध्यक्ष आनंद मणि त्रिपाठी, उपाध्यक्ष एसपी सिंह, वरिष्ठ वकील डॉ. एलपी मिश्रा, असिस्टेंट सालिसिटर जनरल एसबी पांडे सहित बड़ी संख्या में वकील उपस्थित थे।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश रंगनाथ पांडेय ने एक जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्यायपालिका में व्याप्त विसंगतियों से अवगत कराया था। उन्होंने कोलेजियम व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि 'हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति में परिवारवाद और जातिवाद का बोलबाला है। यहां न्यायाधीश के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायाधीश होना सुनिश्चित करता है।'


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