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UP की जेलों में बंदियों और जेलकर्मियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए अब पुलिस का भी पहरा

तिहाड़ जेल की सुरक्षा-व्यवस्था की तर्ज पर उत्तर प्रदेश की 25 अतिसंवेदनशील जेलों के बाहरी हिस्से में पुलिसकर्मी चेकिंग करेंगे।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 08:42 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 09:33 AM (IST)
UP की जेलों में बंदियों और जेलकर्मियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए अब पुलिस का भी पहरा
UP की जेलों में बंदियों और जेलकर्मियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए अब पुलिस का भी पहरा

लखनऊ, जेएनएन। यूपी की जेलों में बंदियों और जेलकर्मियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए अब पुलिस का भी पहरा होगा। तिहाड़ जेल की सुरक्षा-व्यवस्था की तर्ज पर उत्तर प्रदेश की 25 अतिसंवेदनशील जेलों के बाहरी हिस्से में पुलिसकर्मी चेकिंग करेंगे। कारगार प्रशासन ने शासन को प्रस्ताव भेजकर इसके लिए 1300 पुलिसकर्मी मांगे हैं। सबसे खास बात यह है कि पुलिसकर्मी जेल में आने वाले बंदियों व मुलाकातियों के साथ-साथ जेलकर्मियों की भी तलाशी लेंगे। इसके बाद ही कोई जेल में प्रवेश पा सकेगा।

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बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या की घटना और जेलों में कई कुख्यात बंदियों की मनमर्जी के वीडियो वायरल होने के मामलों ने बड़े सवाल खड़े किये हैं। कारागारों में मोबाइल फोन से लेकर अन्य आपत्तिजनक वस्तुओं की लगातार बरामदगी भी बंदियों और जेलकर्मियों की आपसी सांठगाठ की गवाह रही है। अब इसे तोड़ने के लिए डीजी जेल आनन्द कुमार ने जेलों के बाहर पुलिस से चेकिंग कराये जाने की कार्ययोजना बनाई है। पूर्व में जेलों के बाहर पीएसी तैनात कर चेकिंग कराये जाने का प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया था। बताया गया कि लखनऊ, बरेली, आजमगढ़, मेरठ, बागपत, नैनी समेत 25 अतिसंवेदनशील जेलों को सूचीबद्ध किया गया है।

एसएसपी के पास होगा प्रशासनिक नियंत्रण

जेलों के बाहर चेकिंग की ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी संबंधित जिले के एसएसपी व एसपी के प्रशासनिक नियंत्रण में होंगे। उनकी ड्यूटी लगाने का अधिकार जेल अधिकारियों का होगा। ताकि जेलकर्मियों की तलाशी लेने में पुलिसकर्मियों पर कारागार के अधिकारी किसी प्रकार का हस्तक्षेप न कर सकें।

45 दिन में बदलेगी ड्यूटी

जेलों के बाहर चेकिंग करने वाले पुलिसकर्मियों की ड्यूटी 45 दिन बाद बदलने की कार्ययोजना भी बनाई गई है। ऐसा इसलिए कि एक जेल के बाहर कोई पुलिसकर्मी लंबे समय तक न टिक सके और जेल में उसका नेटवर्क न बन सके।

बंदी रक्षकों की है कमी

जेलों की सुरक्षा-व्यवस्था लचर होने के पीछे प्रधान बंदी रक्षकों व बंदी रक्षकों की कमी भी एक बड़ा कारण है। कारागार में बंदी रक्षकों के करीब 8678 पद हैं, लेकिन मौजूदा समय में करीब 4200 ही उपलब्ध हैं। 3600 बंदी रक्षकों को भर्ती किये जाने की प्रकिया भी चल रही है।


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