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PM आवास योजना का लोन दिलाने को खुलीं दुकानें

पार्षद और प्रॉपर्टी डीलरों के घर पर सज रहा दरबार। पात्रता सूची जांचने के नाम पर चल रहा है खेल।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 10:07 AM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 08:12 AM (IST)
PM आवास योजना का लोन दिलाने को खुलीं दुकानें

लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। हरदोई रोड पर शनिवार को एक पार्षद के घर पंचायत लगी थी। डूडा के अधिकारी भी मौजूद थे। पीएम आवास योजना के पात्रों की जांच एक कमरे में ही बैठकर की जा रही थी। नगर निगम का लेखपाल भी पार्षद के घर पहुंचा और अपना क्षेत्र न होने के बावजूद पार्षद के दबाव में पात्रता सूची पर अपनी सहमति दे दी। 

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प्रॉपर्टी डीलिंग के धंधे से जुड़े पार्षद ने पीएम आवास का लोन दिलाने का ठेका ले रखा है। इससे उनकी प्रॉपर्टी खरीदने वाले भी खुश है। यह एक जगह का मामला नहीं है। कई जगहों से ये शिकायतें आ रही हैं कि पीएम आवास योजना का लोन दिलाने में दलाल सक्रिय हो गए हैं और दुकानें खुल गई हैं। कमरे में बैठकर आवेदनकर्ताओं को पात्रता सूची में शामिल किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर सोनेलाल सीतापुर के निवासी हैं और फैजुल्लागंज में जमीन दिखाकर लोन लेना चाहते हैं। अहमद सिद्दीकी बलरामपुर जिले के निवासी हैं और लेकिन जांच में पाया गया कि वे मुंबई में रहते हैं और मकान बनवाने के इच्‍छुक नहीं हैं, जबकि डूडा की तरफ से नामित निजी एजेंसी ने उन्हें भी पात्र सूची में शामिल कर लिया था। 

लंबी है सूची

ऐसी लंबी सूची है, जिसमें तमाम बाहरी लोगों के नाम लाभार्थी सूची में शामिल हैं। लाभार्थी की पात्रता जांचने के लिए डूडा के सहायक परियोजना अधिकारी के साथ ही नगर निगम के लेखपालों की टीम बनाई गई है, लेकिन नगर निगम के कई लेखपालों ने जांच करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि किसी भी लाभार्थी की संपत्ति का अभिलेख नहीं दिया जा रहा है, बस कहा जा रहा है कि शपथ पत्र में लाभार्थी को पात्र बनाने की रिपोर्ट पर मुहर लगा दो। लेखपालों का कहना है कि खतौनी तहसील के लेखपालों के पास होती है और वही यह पता कर सकते हैं कि लाभार्थी जिस संपत्ति को अपनी बता रहा है, वह उसकी है कि नहीं? ऐसे में वह फर्जी अभिलेखों से सरकारी जमीन पर भी लोन ले सकते हैं।

लाभार्थियों के अभिलेख देने में आनाकानी

जांच का यह विवाद कई दिनों से चल रहा है और डूडा वाले लाभार्थी के अभिलेख देने में पीछे हट रहे हैं। गुरुवार को नगर निगम में हुई बैठक में यही मुद्दा छाया रहा। अब डूडा अधिकारी जब लाभार्थी से जुड़े अभिलेख देंगे, तब जांच आगे बढ़ पाएगी। हालांकि, नगर निगम के कुछ लेखपालों ने आंख बंदकर ही रिपोर्ट दे दी, जो जांच के घेरे में आ गए हैं। लखनऊ में दूसरे चरण में पात्र लाभार्थियों का चयन किया जाना है। तमाम उन लोगों ने भी आवेदन कर दिए हैं, जो लखनऊ के नहीं हैं और बैनामे के आधार पर जमीन को अपनी बता रहे हैं, जबकि पूर्व में ऐसे मामले पकड़े गए थे।

तालाब पर ले लिया था लोन 

खुद की जमीन बताकर पीएम आवास योजना का लोन ले लिया गया और बाद में वह तालाब की जमीन निकली, जिसे नगर निगम ने तोड़ा। पारा में प्रधानमंत्री आवास योजना से मिले अनुदान से विजय लक्ष्मी ने मकान बनाया था। तालाब की भूमि का फर्जी बैनामा बाबा नाम के एक प्रॉपर्टी डीलर ने किया था और उसने डूडा और सरोजनीनगर तहसील के लेखपाल की मिलीभगत से जमीन को विजय लक्ष्मी बता दिया था। बाद में नगर निगम ने उसे तोड़ दिया। 

क्या कहते हैं अध‍िकारी ?

  • डूडा की परियोजना अधिकारी निधि वाजपेयी ने बताया क‍ि  गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही पात्रता सूची बनाई जाएगी। इसमें डूडा के सहायक परियोजना अधिकारी व नगर निगम के लेखपाल भी शामिल हैं। अगर किसी पार्षद के घर पर पात्रता सूची बन रही है तो गलत है। वह निष्पक्ष जांच का निर्देश देंगी। 
  • तहसीलदार सविता शुक्ला ने बताया क‍ि पात्रता जांचने वाली टीम की रिपोर्ट मिलने के बाद वह औचक निरीक्षण कर पात्रों की जांच करेंगी। डूडा से लाभार्थियों से जुड़े अभिलेख मांगे हैं, जब वह मिल जाएंगे तो आगे की कार्यवाही होगी। 

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