रिसेप्शनिस्ट हत्याकांड: युवतियों ने उकसाया तो पहुंचे गोली मारने, वाट्सएप चैट से मिले सुबूत
ऑनलाइन फ्रेंड क्लब बनाकर करते थे मुलाकात, उठे सवाल। एसएसपी का दावा, आरोपितों के वाट्सएप चैट और ऑडियो से मिले अहम सुबूत।
लखनऊ, जेएनएन। गोमतीनगर के विशेष खंड स्थित सारा ग्रैंड होटल में गुरुवार देर रात होटल कर्मचारी कृष्ण प्रताप सिंह हत्याकांड मामले के आरोपितों के बारे में कई चौंकाने वाली जानकारी मिली है। एसएसपी का कहना है कि आरोपित उत्तराखंड के गदरपुर उधम सिंह नगर निवासी धीरज नारंग, हर्ष विहार दिल्ली निवासी गुरमीत और खिचड़ीपुर रोड नई दिल्ली निवासी रूबी के बीच बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग और वाट्सएप चैटिंग मिली है। जांच में सामने आया है कि गुरमीत और रूबी ने धीरज और उसके दोस्तों अभय और हरिओम को उकसाया था। रूबी ने अभय को तौलिया भी दी थी, जिससे वह अपना चेहरा छिपा सके।
एसएसपी का कहना है कि आरोपितों ने ऑनलाइन फ्रेंड क्लब के नाम से एक ग्रुप बना रखा है। इसमें कुछ लोग जुड़े हैं। इसके माध्यम से सभी एक-दूसरे से संपर्क में रहते हैं और एक-दूसरे से अलग-अलग जगह पर मुलाकात भी करते हैं। ऑनलाइन क्लब के बारे में पुलिस को कई चौंकाने वाली जानकारियां भी मिली हैं, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने शनिवार सुबह बेंगलुरु से लौट रही अभय की पत्नी को चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से हिरासत में ले लिया और पूछताछ की।
गुरमीत भी क्लब की सक्रिय सदस्य है, जिसके तहत वह होटल में ठहरी थी और ओयो एप के जरिये कमरा बुक कराया था। सारा ग्रैंड होटल के मैनेजर गोंडा के बभनान निवासी अभिषेक वर्मा के मुताबिक कमरे में प्रवेश करने के फौरन बाद गुरमीत ने खाना ऑर्डर किया था। गुरमीत ने कृष्ण प्रताप से कहा था कि वह किसी से मिलना नहीं चाहती है। यही कारण है कि कृष्ण प्रताप ने आरोपितों को मिलने से रोका था।
चलाई थीं चार गोलियां
आरोपितों ने कृष्ण प्रताप उर्फ रोशन पर चार राउंड गोली चलाई थी। दो गोलियां फंस जाने पर अभय ने असलहा दोबारा लोड किया और फिर फायरिंग शुरू कर दी। खुद को बचाने के लिए कृष्ण प्रताप नीचे झुक गया, जिससे एक गोली पीछे दरवाजे में लगी। इसके बाद अभय ने दूसरी गोली चलाई, जो कृष्ण प्रताप के सीने को दाईं ओर से चीरते हुए बाईं तरफ निकल गई। वारदात को अंजाम देने के बाद अभय तौलिया सड़क पर फेंककर हरिओम के साथ भाग निकला था। अभय शुभ स्टे इन होटल के कमरा नंबर 202 में ठहरा था, जबकि धीरज नारंग और रूबी 203 नंबर में थे।
परिवार का सहारा था कृष्ण प्रताप
कृष्ण प्रताप के पिता दिनेश प्रताप की 2 अक्टूबर 2015 को संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। कृष्ण के छोटे भाई दसवीं के छात्र रुद्र ने बताया कि दस दिन पहले भाई गांव आए थे, लेकिन जल्दी में होने के कारण वापस चले गए। लोहिया अस्पताल में बेटे का शव देख मां कुसुम फफक पड़ीं। बोलीं, 'परिवार का एकमात्र सहारा था मेरा बेटा। बहुत मेहनती था। समय निकालकर फोटोग्राफी भी करता था। बोलता था कि मां परेशान न हो, मैं अपनी मेहनत से रुपये कमाऊंगा और सब ठीक कर दूंगा।' कृष्ण प्रताप की एक छोटी बहन मानवी है।