ट्रामा सेंटर के बाहर छापा मारकर जब्त कीं आठ निजी एबुलेंस
मानक ताक पर रख मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहीं एंबुलेंस पर कार्रवाई। एक चालक वाहन छोड़ कर भागा।
लखनऊ, जेएनएन। मानक ताक पर रखकर निजी वाहनों को एंबुलेंस बनाकर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर उन्हें अस्पताल पहुंचाने वाले वाहनों पर शुक्रवार को अपर परिवहन आयुक्त ने कार्रवाई करते हुए आठ को बंद कर दिया। प्रवर्तन दस्ते के अचानक पहुंचने से ट्रामा के बाहर भगदड़ मच गई।
शुक्रवार सुबह आठ बजे अपर परिवहन आयुक्त अपने टीम के साथ अचानक ट्रामा सेंटर पहुंच गए। बाहर खड़ी एंबुलेंस चालकों से कागजात मांगे। कई एंबुलेंस मानक पूरा नहीं कर रही थीं। जैसे ही जांच शुरू हुई तो भगदड़ मच गई। नौ एंबुलेंस पकड़ी गईं। इनमें से एक एंबुलेंस को चालक छोड़कर भाग गया। इसका चालान कर दिया गया। जांच दल ने मौके पर आठ एंबुलेंस का चालान कर दिया और उन्हें मडिय़ांव थाने में बंद करा दिया। दरअसल, नियम विरुद्ध चल रहीं यह एंबुलेंस सेवा कार्य के नाम पर मरीजों के तीमारदारों से मनमाना पैसा वसूलती हैं।
निजी वाहन को एबुलेंस नहीं बनाया जा सकता
अपर परिवहन आयुक्त गंगाफल के मुताबिक एबुलेंस में जरूरी उपकरण नहीं थे। एंबुलेंस वाहन निजी नाम से पंजीकृत नहीं हो सकती है। उसे किसी चिकित्सालय या संस्था के नाम ही होना चाहिए। मानक पूरे न होने से मरीजों की जान जोखिम में रहती है। आरटीओ में एंबुलेंस वाहन के नाम रजिस्ट्रेशन कराने से रोड टैक्स नहीं देना पड़ता है।
पांच सौ से ज्यादा एंबुलेंस हैं निजी रूप से पंजीकृत
संभागीय परिवहन कार्यालय में 514 एंबुलेंस निजी रूप में पंजीकृत हैं। कुल 1009 पंजीकृत एंबुलेंस संभाग में दौड़ रही हैं जो विभिन्न संस्थाओं या अस्पतालों के नाम हैं।