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परमाणु हथियारों के बल पर हमें कोई धमका नहीं सकता : डॉ काकोडकर

लविवि में आयोजित समारोह में बोले परमाणु वैज्ञानिक डॉ. अनिल। उन्होंने अपने सहयोगी वैज्ञानिकों से कहा कि हम अपने उपलब्ध संसाधनों के आधार पर रिसर्च को आगे बढ़ाएंगे।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 10:30 AM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 10:30 AM (IST)
परमाणु हथियारों के बल पर हमें कोई धमका नहीं सकता : डॉ काकोडकर

लखनऊ, जागरण संवाददाता। देश को कोई कमजोर न समझे। परमाणु हथियारों के बल पर देश को कोई धमका नहीं सकता। भारत परमाणु ऊर्जा पर आत्मनिर्भर है। हमने अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर ली है। यह बातें पद्म विभूषण व परमाणु भौतिक वैज्ञानिक डॉ. अनिल काकोडकर ने लखनऊ विश्वविद्यालय में कहीं।

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मालवीय सभागार में परमाणु ऊर्जा और सुरक्षा विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए डॉ. काकोडकर ने कहा कि एक वक्त था, जब भारत को टेक्नोलॉजी हस्तांतरण के लिए कोई देश तैयार नहीं हुआ। उस समय डॉ. होमी जहांगीर भाभा कैम्ब्रिज से छुट्टी लेकर भारत अपने माता-पिता के पास आये थे। उसी दौरान द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया। डॉ. भाभा वापस नहीं जा सके। उन्होंने भारत में ही रहकर अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाया। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की स्थापना हुई। उन्होंने अपने सहयोगी वैज्ञानिकों से कहा कि हम अपने उपलब्ध संसाधनों के आधार पर रिसर्च को आगे बढ़ाएंगे। उनके प्रयासों का परिणाम रहा कि भारत ने 1974 में शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण किया।

निकट भविष्य में 15 हजार सात सौ मेगावाट बिजली होगी तैयार

उन्‍होंने कहा कि भारत में पावर प्लांट के निर्माण में भी अमेरिका ने बाधा खड़ी की। उसके बाद 1998 में भी हमने परमाणु परीक्षण किया। भारत ने दुनिया को बता दिया कि हम भी परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। कहा कि परमाणु ऊर्जा का उपयोग मानव विकास के लिए करना चाहिए। हमने टेक्नोलॉजी हासिल कर ली है, लेकिन हमारे सामने यूरेनियम आपूर्ति की समस्या है। बिजली के क्षेत्र में हम लोग अभी कमजोर हैं। भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ती है तो इसमें दुनिया का भी हित है, इसलिए दुनिया के अन्य देश भारत को यूरेनियम देने के लिए राजी हैं। काकोडकर ने कहा कि भारत में इस समय 22 रिएक्टर काम कर रहे हैं। 21 अन्य रिएक्टर पर काम चल रहा है। इससे 15 हजार सात सौ मेगावाट बिजली तैयार हो सकेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने की। इस दौरान विवेकानंद केंद्र लखनऊ के अश्वनी कुमार मुख्य रूप से मौजूद रहे।


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