काव्यांजलिः यूपी के 403 विधानसभा क्षेत्रों में गूंजे अटल बिहारी वाजपेयी के शब्द
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के एक माह पूरे होने पर भाजपा ने प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में काव्यांजलि आयोजित किया।
लखनऊ (जेएनएन)। 'कवि आज सुना वह गान रे' शीर्षक की पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यह कविता -
'रे कवि! तू भी स्वरलहरी से,
आज आग में आहुति दे।
और वेग से भभक उठें हम,
हद् - तंत्री झंकृत कर दे' रविवार को सजीव हो उठी। कवियों ने उनकी रचना को स्वर दिया। साहित्य के फलक पर अटल का विराट व्यक्तित्व उभरा। प्रदेश के 403 विधानसभा क्षेत्रों में उनके शब्द गूंज उठे। उनकी रचनाओं ने लोगों को ऊर्जित किया। भाजपा के सांसद, विधायक और संगठन के पदाधिकारियों ने कवियों संग अपने प्रिय नेता को याद किया, श्रद्धासुमन अर्पित किये और उनके पद चिह्नों पर चलने का संकल्प दोहराया।
रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के एक माह पूरे हुए। भाजपा ने इस दिन प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में काव्यांजलि आयोजित किया। इस आयोजन में सांसद, विधायक, प्रभारी, संगठन के पदाधिकारी और भाजपा के महत्वपूर्ण लोग शामिल हुए। सभी क्षेत्रों में स्थानीय कवियों को आमंत्रित किया गया था। कवियों के लिए खास शर्त यह थी कि वे अटल जी की ही रचनाओं का पाठ करेंगे। अटल के साहित्यिक खजाने से उनके शब्दों की बारिश हुई। कभी देश प्रेम की अलख जगी तो कभी करुणा और संवेदना ने पांव पसारे। वाकई अटल ने अपनी रचनाओं में जीवन जीने की कला सिखाने से लेकर लडऩे का हथियार दिया है। पंचायतों से लेकर सत्ताशीर्ष तक समृद्ध और शक्तिशाली भाजपा के लिए भी अटल के शब्दों में नसीहतें थीं। यह अटल की ही रचना है-
'दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुन: अखंड बनाएंगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएंगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें, बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएं, जो खोया उसका ध्यान करें।'
यह भी संयोग है कि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। प्रधानमंत्री के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर प्रदेश भर में हुए इन आयोजनों में अटल के प्रति मोदी की भावांजलि भी दोहराई गईं।