गोद में रह गए सांसदों के आदर्श गांव
पहले चरण में तीन सांसदों ने गोद लिए थे गांव, रोजगार तो दूर शौचालय तक पूरे नहीं बन सके
लखनऊ (राजीव बाजपेयी)। केंद्र सरकार के चार साल पूरे हो गये। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर सभी सासदों ने एक-एक गांव गोद लिया था। मकसद था कि गोद लिए गांवों को आदर्श बनाना। बिजली, पानी, सड़क और शौचालय से इतर विकास और रोजगार के आयाम जोड़ना। पहला चरण पूरा हो गया और सांसदों ने दूसरे गांवों की ओर रुख कर लिया है। आदर्श गांव का सपना तो दूर मूलभूत सुविधाएं तक पूरी तरह मुहैया नहीं हो सकी हैं। केंद्र सरकार का सबसे अधिक जोर स्वच्छता को लेकर है मगर इन गांवों को अब तक ओडीएफ तक नहीं बनाया जा सका है। सांसद : कौशल किशोर
ग्राम पंचायत : आंट गढ़ी कनौरा
ब्लाक : माल
संसदीय क्षेत्र : मोहनलालगंज
ग्राम पंचायत में वार्डो की संख्या : ग्राम : आंट, गढ़ी, सौरा, जलौनी, जानकीनगर और विशुनपुर
कुल जनसख्या : करीब 4677
परिवारों की संख्या : करीब 814
पुरुष : 2479, महिला : 2198
अनुसुचित जाति परिवार : 410
क्या हैं सुविधाएं
स्वास्थ्य उपकेंद्र, डाकघर, प्राथमिक विद्यालय 4, माध्यमिक विद्यालय 2, दुग्ध सहकारी एकीकरण केंद्र, खेल मैदान 2, आगनबाड़ी केंद्र 2।
भूमि और सिचाई : कृषि योग्य भूमि : 600.207 एकड़, सिचाई योग्य भूमि : 600.207 एकड़, वन : .138 एकड़ सार्वजनिक भूमि : 27.173 एकड़, पोखर और तालाब : 35
सिर्फ कागजों पर ही विकास योजनाएं
नहर में सालों से पानी नहीं है और तालाब भी ऐसे पड़े हैं। शमशान घाट पर भी कब्जा है। कुछ जगहों पर छोड़कर विकास यहां हर तरफ नहीं दिखता। सरकारी योजनाओं की रफ्तार धीमी है और पात्रों तक समय से पहुंच नहीं पाती है। सांसद भागदौड़ करते हैं मगर काम की स्पीड वही है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार कहां
गांव के दीपक पढ़ाई के बाद मुंबई चले गए। वह कहते हैं कि जब तक रोजगार के मौके नहीं होगे, तब तक आदर्श गांव कैसा। नेता केवल सड़क, बिजली और पानी की केवल बात करते हैं लेकिन रोजगार की तो कोई बात तक नहीं करता। कितने भी दावे हों लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार बिना सांसद आदर्श गांव कैसे बनेगा?
आम और खेती पर ही निर्भरता
राजधानी में होने के बावजूद यह पिछड़ा इलाका माना जाता है। दूसरे ब्लाकों की अपेक्षा यहां विकास नजर नहीं आता। मलिहाबाद से जुड़ा होने के कारण इधर का पूरा इलाका आम फल पट्टी क्षेत्र में आता है। अधिकांश लोगों की आर्थिक व्यवस्था का तानाबाना आम के बाग और खेती पर ही निर्भर है। यही वजह है कि लोग नहरों में पानी नहीं होने के कारण रोष में हैं। बागों की सिंचाई के लिए नहरों पर ही निर्भर हैं। यहां पर रोजगार के साधन ना के बराबर हैं।
अन्य सुविधाओं का हाल : बैंक : दो किलोमीटर, पीएचसी : आठ किलोमीटर, सीएचसी : आठ किलोमीटर, उच्च प्राथमिक विद्यालय : आठ किलोमीटर, पशु चिकित्सा केंद्र : आठ किलोमीटर सांसद आदर्श ग्राम - 2
पूर्व मुख्यमंत्री मायावाती ने लिया था माल गांव को गोद
ग्राम पंचायत : माल
ब्लाक : माल
ग्राम पंचायत वार्ड : 15
ग्राम पंचायत में गांव : 5
गांव : माल, बरौली, नारू, विधिश्यामा और भंवर
जनसंख्या : करीब 7981
परिवारों की संख्या : 1513
पुरुष : 4183, महिला : 3798
अनुसचित जाति परिवार : 629
क्या हैं सुविधाएं
स्वास्थ्य उपकेंद्र, बैंक, एटीएम, प्राथमिक विद्यालय 05, माध्यमिक विद्यालय 02, उच्च प्राथमिक विद्यालय 01, बस स्टाप, आंगनबाड़ी केंद्र, खेल मैदान 02।
नाम बड़ा और दर्शन छोटे
माल ब्लाक की यह दूसरी ग्राम पंचायत है जिसे सांसद आदर्श ग्राम योजना में जगह मिली थी। चूंकि गांव का नाम पूर्व मुख्यमंत्री मायावती से जुड़ा था लिहाजा लोगों को अपेक्षाएं थीं। यहां पर लड़कियों के लिए सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है। इसलिए इंटर के बाद अधिकांश लड़कियों का आगे पढ़ने का सपना अधूरा रह जाता है। बिजली का भी बुरा हाल है। ग्राम पंचायत में सड़कों से नालियां नदारद हैं। अगर कहीं नालियां बनी भी हैं तो पूरी तरह चोक हैं। बरसात के मौसम में पूरा इलाका नर्क में तब्दील हो जाता है। माल कस्बे का मुख्य मार्ग बहुत सकरा है लिहाजा यहां पर अक्सर जाम की स्थिति रहती है। गांव के लोग दिन भर जाम की समस्या से जूझते हैं। सांसद आदर्श ग्राम योजना-3
पुलिस चौकी और अस्पताल का इंतजार
सांसद - राजनाथ सिंह
ग्राम : बेती
ब्लाक : सरोजनीनगर
तहसील : सदर
ग्राम पंचायत में ग्रामों की संख्या : बेती, कल्लन खेड़ा, दयाल खेड़ा, मिर्जापुर, नरेरा, ताराखेड़ा, जौखी खेड़ा, भौरापुर, रामगढ़ी, लाऊखेड़ा
जनसंख्या : 5610
गांव में सुविधाएं : बैंक, एटीएम, प्राथमिक विद्यालय 5, माध्यमिक विद्यालय 01, राजकीय हाईस्कूल 01,
केंद्रीय गृहमंत्री ने गोद लेते ही खुलवाया बैंक
पानी की टंकी का निर्माण अधूरा, ध्यान केंद्र का निर्माण अधूरा।
अब तक करीब सौ शौचालयों का ही निर्माण 700 की मांग
दस सरकारी हैंडपंप, 40 की मांग
पीएम आवास योजना के तहत केवल सौ आवासों का निर्माण
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बेती गांव को गोद लिया था इसलिए अफसरों की प्राथमिकता में था। विकास योजनाएं यहां कुछ हद तक तो परवान चढ़ी लेकिन अधिकांश कागजों पर ही रह गयीं।
पुलिस चौकी का इंतजार
गोद लेने के बाद जब राजनाथ सिंह पहली बार बेती आए थे तो लोगों ने यहां पर पुलिस चौकी खोलने की मांग की थी। ग्रामीण पूरन का कहना है कि गांव से पांच किलोमीटर दूर हरौनी पुलिस चौकी है। सड़क पर अक्सर लूटपाट होती है और बदमाशों का डर लगा रहता है।
नशे का कारोबार - पूरे इलाके में अवैध शराब का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जाता है। पहली बार आए राजनाथ ने जल्द ही पुलिस चौकी खुलवाने और नशे के कारोबार पर रोक लगाने की बात कही थी।
अब तक नहीं पूरा हुए वादे : सामुदायिक केंद्र, पशु चिकित्सालय, आंगनबाड़ी केंद्र भवन।